'हम कुरान के हिसाब से चलेंगे, इसे लागू नहीं होने देंगे..', उत्तराखंड UCC पर किसने क्या कहा ?

'हम कुरान के हिसाब से चलेंगे, इसे लागू नहीं होने देंगे..', उत्तराखंड UCC पर किसने क्या कहा ?
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नई दिल्ली: भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पेश किए जाने के बाद, कई विपक्षी नेताओं ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि वे UCC के पक्ष में नहीं हैं। विधेयक का उद्देश्य सभी धर्मों के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक समान कानूनी ढांचा प्रदान करना है। एक बार विधानसभा में पारित होने और राज्यपाल द्वारा अनुमोदित होने के बाद, उत्तराखंड आजादी के बाद UCC अपनाने वाला पहला राज्य होगा।

UCC बिल पेश होने पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद सैयद तुफैल हसन ने कहा कि वह कुरान में उल्लिखित कानूनों का पालन करेंगे। हसन ने कहा कि, "अगर कोई कानून बनाया जाता है जो कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है, तो हम उससे सहमत नहीं होंगे। वे कब तक वोटों का ध्रुवीकरण करते रहेंगे, लोग अब इससे तंग आ चुके हैं।" कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि, "(लोकसभा) चुनाव के समय तक नए-नए तुच्छ मुद्दे सामने ला दिए जाएंगे, ताकि बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक असमानता, कृषि जैसे मुद्दों पर कोई चर्चा न हो।"

वहीं, TMC सांसद सौगत रॉय ने कहा कि बंगाल सरकार UCC लागू करने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि, "हम UCC को लागू करने के पक्ष में नहीं हैं। वे इसे बीजेपी शासित राज्यों में लागू कर सकते हैं, हम इसे पश्चिम बंगाल में लागू नहीं करेंगे।" ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि, "जहां तक UCC का सवाल है, हमारी राय है कि प्रत्येक कानून में एकरूपता नहीं लाई जा सकती है और यदि आप किसी समुदाय को इस UCC से छूट देते हैं, इसे समान संहिता कैसे कहा जा सकता है? ऐसी किसी समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं थी। विधानसभा के समक्ष मसौदा प्रस्तुत होने के बाद हमारी कानूनी टीम इसका अध्ययन करेगी और फिर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।"

कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि, ''उत्तराखंड सरकार राज्य में महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था समेत सभी मुद्दों पर विफल रही है। राज्य सरकार यह कोशिश भी कर सकती है, लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी फिर भी उत्तराखंड में हारेगी।"

बता दें कि, UCC मसौदे का विशिष्ट विवरण अभी तक जनता के सामने प्रकट नहीं किया गया है। हालाँकि, सभी धार्मिक समुदायों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, भूमि और संपत्ति कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा स्थापित करने की उम्मीद है। यदि यह पारित हो जाता है, तो आजादी के बाद उत्तराखंड UCC अपनाने वाला पहला राज्य होगा। पुर्तगाली शासन के दौरान गोवा ने UCC को अपनाया था। अब तक पांच देशों ने किसी न किसी रूप में UCC लागू किया है। वे फ्रांस, जर्मनी, जापान, सऊदी अरब और नेपाल हैं। एक बार लागू होने के बाद UCC बहुविवाह और बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देगा, महिलाओं के लिए सभी धर्मों में न्यूनतम विवाह योग्य आयु और तलाक के लिए मानक प्रक्रिया शुरू कर देगा। वे लैंगिक समानता और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दिए गए सुझाव हैं। बता दें कि, हमारे संविधान के अनुच्छेद 44 में भी UCC लागू करने की बात कही गई है, वहीं सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतें भी इसे लागू करने पर जोर दिया है। हालाँकि, मुस्लिम लॉ बोर्ड शुरू से इसके खिलाफ रहा है, उनका कहना है कि, वे इस्लामी कानून शरिया के हिसाब से ही चलेंगे।     

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