लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के बीच बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बर्धमान विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर की नियुक्ति के बाद उनके खिलाफ राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे असंवैधानिक व दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साथ ही कहा कि शिक्षा मंत्री का बयान उनके द्वारा मंत्री पद की शपथ के खिलाफ है.
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अपने बयान में सोमवार को शिक्षा मंत्री ने कहा था कि राज्यपाल भाजपा के आदमी हैं और उन्होंने उनके द्वारा प्रो वाइस चांसलर की नियुक्ति को कानून के विरुद्ध बताते हुए इसे मानने से इनकार कर दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि विश्वविद्यालयों को चलाने के लिए राज्य सरकार पैसा देती है इसलिए फैसला लेने का अधिकार केवल सरकार को है। उनके इस बयान के बाद राज्यपाल धनखड़ ने एक बयान जारी कर इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री का बयान उनके द्वारा मंत्री पद की शपथ के खिलाफ है।
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इसके अलावा उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री का बयान बहुत ही दुखद है। राजभवन को विवादों में घसीटने की कोशिश की जा रही है, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने शिक्षा मंत्री के बयान को अत्यंत अफसोस जनक बताते हुए इसे तुरंत वापस लेने को भी कहा। साथ ही मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की। राजभवन की ओर से यह भी कहा गया कि बंगाल में शिक्षा की हालिया स्थिति व शिक्षा मंत्री के बयान के परिप्रेक्ष्य में राज्यपाल बुधवार को दोपहर 3 'बजे से राजभवन में मीडिया को भी संबोधित करेंगे।वही, शिक्षा मंत्री दूसरी ओर, राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने मंगलवार को एक बार फिर संवाददाता सम्मेलन कर आरोप लगाया कि राज्यपाल धनखड़ अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने राज्यपाल द्वारा बर्धमान विश्वविद्यालय में प्रो वाइस चांसलर (एडमिनिस्ट्रेशन एवं एकेडमिक) की नियुक्ति को एक बार फिर असंवैधानिक करार दिया। चटर्जी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से विचार-विमर्श किये बगैर ही राज्यपाल ने नियुक्ति कर दी। ऐसा कैसे हो सकता है? आश्चर्यजनक है कि मीडिया में पहले इसकी जानकारी दी गई।
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