बंगाल के दंगों के आरोपी की तलाश झारखण्ड में

बंगाल के दंगों के आरोपी की तलाश झारखण्ड में
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धनबाद: पश्चिम बंगाल में रामनवमी पर हुए दंगों के बाद ममता प्रशासन की चारों ओर किरकिरी हो रही है, वहीं दंगों को रोक पाने में नाकाम रही बंगाल पुलिस भी अब अपनी नाकामी छुपाने के लिए  झारखण्ड में दंगे की जड़ तलाश कर रही है. शुक्रवार को बंगाल पुलिस की एक टीम झारखण्ड के शहर धनबाद पहुंची और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के एक पुराने कार्यकर्ता पंकज सिंह पर शक होने के कारण, उन्हें अपने साथ ले जाने लगी, लेकिन स्थानीय मैथन पुलिस के विरोध के कारण पश्चिम बंगाल पुलिस को खाली हाथ लौना पड़ा.

पश्चिम बंगाल पुलिस को एबीवीपी कार्यकर्ता पर शक तो था, पर मैथन पुलिस के सामने वो कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाई.  भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य विनय सिंह, भाजपा नेता मधुरेंद्र गोस्वामी का कहना है कि पश्चिम बंगाल पुलिस अपनी विफलता पर पर्दा डालने के लिए यह हथकंडा अपना रही है. वह दंगे में झारखंड के भाजपा, आरएसएस और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं का नाम जोड़कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुश करना चाहती है. एबीवीपी के कार्यकर्ता भी पश्चिम बंगाल की इस कार्यवाही से क्रुद्ध नज़र आ रहे हैं. 

वहीं बंगाल पुलिस का कहना है कि पश्चिम बंगाल में हुए दंगों की साज़िश पडोसी राज्य झारखण्ड में हुई थी, उनका कहना है कि पहली बार बंगाल के रानीगंज में दंगा भड़का था, यह क्षेत्र झारखण्ड के मैथन से मात्र 40 किमी की दुरी पर है, उसके बाद दंगों की आग आसनसोल तक पहुँच गई थी. 

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