कोलकाता: पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में भगवान श्रीकृष्ण को अपनी गोद में धारण की हुई महाभारत काल की राक्षसी पूतना की पूजा पिछले 100 वर्षो से अधिक समय से होती आई है. हुगली के चंदननगर के लीचूपट्टी इलाके के राधा गोविंदबाड़ी में यह मंदिर मौजूद है. पूरे देश और दुनिया में आज सोमवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है, मगर बंगाल के हुगली जिले में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन परंपरा से बिल्कुल अलग भगवान श्री कृष्ण को अपनी गोद में धारण की हुई महाभारत काल की राक्षसी पूतना की पूजा की जाती है.
हुगली के चंदन नगर के लीचूपट्टी इलाके के राधा गोविंदबाड़ी में अधिकारी परिवार के 4 पीढ़ियों के पूर्वजों द्वारा यह पूजा की जाती रही है. परिवार के पूर्वजों के सपने में राक्षसी पूतना के आने के बाद प्रतिमा की स्थापना की गई थी. अधिकारी परिवार के वरिष्ठ सदस्य गौर अधिकारी के मुताबिक, चंदननगर में फारसी शासन की स्थापना से लगभग 100 वर्ष पूर्व उनके पूर्वज ने महाभारत काल की राक्षसी पूतना, जिसको राक्षस राजा कंस ने भगवान श्रीकृष्ण का वध करने के लिए स्तनपान कराने के लिए भेजा था, उसकी प्रतिमा की स्थापना की. पहले यह मूर्ति छोटी थी, किन्तु बाद में इसका आकार बढ़ाया गया.
चंदननगर के अधिकारी परिवार द्वारा प्रतिष्ठित राधागोविंद मंदिर में दाखिल होते ही एक बड़े राक्षसी की प्रतिमा देखने को मिलेगी, जिसकी दोनों आंख देखने में बहुत भयानक लगती हैं. उसके बड़े-बड़े दांत काफी डरावने हैं, किन्तु यहाँ पूरे भक्ति-भाव के साथ यहां राक्षसी पूतना की पूजा की जाती है. इस मंदिर में भगवान राधागोविंद, जगन्नाथ, बलराम, सुभद्रा की भी मूर्तियां विराजमान है.
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