कन्हैयालाल की हत्या का क्या ? मुस्लिमों की मॉब लिंचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे वकील पर जज ने दागा सवाल

कन्हैयालाल की हत्या का क्या ? मुस्लिमों की मॉब लिंचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे वकील पर जज ने दागा सवाल
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नई दिल्ली: जून 2022 में, राजस्थान के उदयपुर में दिन के समय, कन्हैया लाल नाम के एक दर्जी पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने उनकी दुकान में घुसकर बेरहमी से हमला किया था और उनकी हत्या कर दी थी। यह हृदयविदारक घटना मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान सामने आई। जनहित याचिका में अल्पसंख्यकों (बहुत हद तक मुस्लिम) के खिलाफ भीड़ की हिंसा के बढ़ते मुद्दे पर प्रकाश डाला गया था, जिसमें गोरक्षकों द्वारा पीट-पीटकर हत्या की घटनाएं भी शामिल हैं। इसने पीड़ितों के परिवारों के लिए तत्काल वित्तीय सहायता का अनुरोध किया था।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि, "राजस्थान के उस दर्जी, कन्हैया लाल के बारे में क्या, जिसकी निर्मम हत्या कर दी गई?", जिस पर याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील निज़ाम पाशा ने स्वीकार किया कि इसका उल्लेख नहीं किया गया था। अदालत ने जवाब दिया कि, "जब सभी राज्य मौजूद हों तो आप चयनात्मक नहीं हो सकते।" इस पर गुजरात राज्य के वकील ने कहा कि जनहित याचिका विशेष रूप से केवल मुसलमानों की लिंचिंग को उजागर कर रही है। वरिष्ठ वकील अर्चना पाठक दवे ने कहा, "यह सिर्फ मुसलमानों की भीड़ द्वारा हत्या है।" दावे ने कहा, "यह चयनात्मक कैसे हो सकता है? राज्य को सभी समुदायों के लोगों की रक्षा करनी है।"

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "हां, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि यह बिल्कुल भी चयनात्मक न हो, अगर सभी राज्य इसमें शामिल हैं।" वकील पाशा ने प्रतिवाद करते हुए कहा, "केवल मुसलमानों को पीट-पीटकर मार डाला जा रहा है, यह तथ्यात्मक बयान है।" न्यायमूर्ति गवई ने सख्त रुख अपनाते हुए उत्तर दिया कि, "आप अदालत में जो कुछ भी प्रस्तुत कर रहे हैं, कृपया उससे सावधान रहें।" इसके बाद मामला ग्रीष्मावकाश के बाद के लिए टाल दिया गया, जो 20 मई से 7 जुलाई तक चलता है।

बता दें कि, पिछले साल जुलाई में अदालत ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की महिला शाखा द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र और छह राज्यों - महाराष्ट्र, ओडिशा, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश - से जवाब मांगा था। जनहित याचिका में दावा किया गया कि 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद इन राज्यों द्वारा कार्रवाई की कमी हुई है, जिसमें गोरक्षकों द्वारा हत्या सहित घृणा अपराधों पर सख्त रुख अपनाने का निर्देश दिया गया है।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि "भीड़ हिंसा और लिंचिंग में बड़े पैमाने पर वृद्धि" मुस्लिमों द्वारा सामना किए जाने वाले "बहिष्कार की सामान्य कहानी" और "राज्य द्वारा निष्क्रियता के प्राकृतिक परिणाम" के कारण थी। आज की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि अब तक केवल हरियाणा और मध्य प्रदेश ने ही कार्रवाई के संबंध में जवाब दाखिल किया है. इसके बाद अदालत ने अन्य राज्यों को अपने बयान दर्ज करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया। इसी संदर्भ में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ने कन्हैया लाल की हत्या के बारे में भी पूछा कि वो क्या था।

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