महान दार्शनिक स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन आने में कुछ ही समय बचा है. वह बहुत महान दार्शनिक थे और भारत के उत्थान में उन्होंने एक अलग ही अहम भूमिका निभाई थी. आपको बता दें कि उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था और बहुत कम उम्र में ही उन्होंने वेद और दर्शन शास्त्र का ज्ञान ले लिया था. कहा जाता है उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे, जबकि मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं. वहीं साल 1884 में पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली और वह अतिथि की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ते थे. कहा जाता है वह खुद भूखे रहकर अतिथियों को खाना खिलाते थे और बाहर ठंड में सो जाते थे. वहीं जब वह 25 साल के हुए तो अपने गुरु से प्रेरित होकर उन्होंने सांसारिक मोह-माया त्याग दी और संन्यासी का जीवन अपना लिया. आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ ख़ास बातें.
1. स्वामी विवेकानंद का जन्म कलकत्ता के कायस्थ परिवार में हुआ था और वह बचपन से सेवी किस्म के थे.
2. वह साल 1871 में आठ साल की उम्र में स्कूल गए. 1879 में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में पहला स्थान ले लिया था.
3. उन्होंने 25 साल की उम्र में घर-बार छोड़ दिया और सन्यासी बन गए थे. संन्यास लेने के बाद इनका नाम विवेकानंद हो गया.
4. रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद की मुलाकात साल 1881 कलकत्ता के दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में हुई थी और परमहंस ही उनके गुरु थे.
5. विवेकानंद जब रामकृष्ण परमहंस से मिले तो उन्होंने वही सवाल किया जो वो औरों से कर चुके थे, 'क्या आपने भगवान को देखा है?' इसके बाद रामकृष्ण परमहंस ने जवाब दिया- 'हां मैंने देखा है, मैं भगवान को उतना ही साफ देख रहा हूं जितना कि तुम्हें देख सकता हूं. फर्क सिर्फ इतना है कि मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं.'
6. कहा जाता है अमेरिका में हुई धर्म संसद में जब स्वामी विवेकानंद ने 'अमेरिका के भाइयों और बहनों' के संबोधन से भाषण शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में तालियां बजती रहीं और 11 सितंबर 1893 का वो दिन इतिहास में आज तक दायर है.
7. स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी.
8. स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन पर ही भारत में हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस मनाते हैं.
9. स्वामी विवेकानंद को दमा और शुगर की बीमारी थी और उन्होंने कहा भी था, 'ये बीमारियां मुझे 40 साल भी पार नहीं करने देंगी.' आपको बता दें कि अपनी मृत्यु के बारे में उनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई और उन्होंने 39 साल की उम्र में 4 जुलाई 1902 को बेलूर स्थित रामकृष्ण मठ में ध्यानमग्न अवस्था में महासमाधि धारण कर मौत को गले लगा लिया.
10. स्वामी विवेकानंद का अंतिम संस्कार बेलूर में गंगा तट पर किया गया था.
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