नई दिल्ली: नए संसद भवन में आयोजित विशेष सत्र के दौरान आज मंगलवार (19 सितंबर) को महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया गया। 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नामक विधेयक में विधानसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है। हालाँकि, कानून अगले परिसीमन अभ्यास के बाद लागू होगा, जो 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के बाद आयोजित किया जा सकता है। नए संसद भवन के विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में यह बिल पेश किया।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:-
1- विधेयक में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। कोटा राज्यसभा या राज्य विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।
2- उक्त कोटे में से एक तिहाई (33 फीसद) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगा।
3- पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने के बाद परिसीमन किए जाने के बाद सीटों का आरक्षण प्रभावी होगा।
4- लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों का चक्रण परिसीमन की प्रत्येक बाद की प्रक्रिया के बाद होगा।
5- विधेयक में OBC श्रेणी की महिलाओं के लिए आरक्षण को बाहर रखा गया है, यानी वे सामान्य में ही आएंगी।
सरकार ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम बनाना है। प्रस्तावित विधेयक लगभग 27 वर्षों से लंबित था और आखिरी ठोस कार्रवाई 2010 में राज्यसभा में इसका पारित होना था। हालाँकि, 15वीं लोकसभा के भंग होने, यानी मनमोहन सरकार जाने के बाद से यह बिल अपने आप लोकसभा में निरस्त हो गया था। जिसके बाद अब केंद्र सरकार ने इस विधेयक में संशोधन करके इसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से पेश किया है।
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