वायनाड त्रासदी में भारत सरकार ने क्या किया? शाह ने दिया प्रियंका गांधी को जवाब

वायनाड त्रासदी में भारत सरकार ने क्या किया? शाह ने दिया प्रियंका गांधी को जवाब
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नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने वायनाड में 30 जुलाई 2024 को हुए भूस्खलन के बाद केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए त्वरित कदमों और केरल सरकार की धीमी कार्यप्रणाली को लेकर कड़े शब्दों में जवाब दिया। यह प्रतिक्रिया सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा पेश याचिका के जवाब में आई। अमित शाह ने बताया कि भूस्खलन की घटना के कुछ घंटों के भीतर केंद्र ने एनडीआरएफ, तटरक्षक बल और सेना को तैनात कर दिया।  

- सेना की 14 टुकड़ियां और 6 हेलीकॉप्टर मौके पर भेजे गए।  
- बचाव अभियान के तहत 30 लोगों को बचाया गया और 520 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।  

घटना के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने आपदा राहत कोष से मदद के रूप में बड़ी राशि आवंटित की:  
1. 31 जुलाई को 145.60 करोड़ रुपये की पहली किस्त दी गई।  
2. 1 अक्टूबर को 145.60 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त जारी की गई।  
3. 16 नवंबर को उच्च स्तरीय समिति ने 153.47 करोड़ रुपये राहत अभियानों के लिए आवंटित किए।  

गृह मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य के आपदा राहत कोष में अब भी 782.99 करोड़ रुपये बचे हुए हैं।  

अमित शाह ने केरल सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि भूस्खलन के साढ़े तीन महीने बाद, यानी 13 नवंबर को विस्तृत राहत और पुनर्निर्माण परियोजना का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया। इसके विपरीत, केंद्र ने न केवल तुरंत सहायता भेजी, बल्कि मंत्रिस्तरीय समिति का गठन कर आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा भी कराया।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर पुनर्निर्माण और लोगों की मदद का आश्वासन दिया।  

- केंद्र ने केरल के लिए 2,219 करोड़ रुपये की पुनर्निर्माण परियोजना स्वीकृत की।  
- इसका उद्देश्य घरों, स्कूलों, सड़कों के पुनर्निर्माण और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करना है।  

अमित शाह ने सीपीएम और उसकी सहयोगी वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) पर आरोपों को नकारते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने केरल को आपदा राहत के लिए योग्य धनराशि प्रदान की है। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि 36 करोड़ रुपये की राशि, जो कचरा हटाने के लिए आवंटित थी, अब तक खर्च नहीं की गई है।  

अमित शाह के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार ने भूस्खलन के बाद पूरी तत्परता दिखाई, लेकिन राज्य सरकार की देरी ने राहत कार्यों को प्रभावित किया। यह सवाल उठता है कि राज्य सरकार ने इतनी महत्वपूर्ण परियोजना में देरी क्यों की, जबकि केंद्र से पर्याप्त सहायता समय पर उपलब्ध थी।  

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