आप सभी जानते ही होंगे सावन का महीना बहुत ही पवित्र महीना होता है. जी दरअसल इस महीने में शिव जी का पूजन किया जाता है. वहीं सावन का महीना भोलेनाथ का प्रिय महीना भी कहा जाता है. जी दरअसल हिंदू धर्म में नृत्य, कला, योग और संगीत को बहुत ही महत्व दिया जाता हैं.
वहीं ऐसा कहते हैं कि शुद्ध ध्वनि और प्रकाश से ही इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई हैं. आप नहीं जानते होंगे कि ऐसे में कुछ ध्वनियां जैसे कि मंदिर की घंटी, शंख, बांसुरी, वीणा, मंजीरा, सितार, ढोल, नगाड़ा, मृदंग, चिमटा, तुनतुना, तबला, डमरू आदि को बहुत ही पवित्र मानते हैं. वहीं इन ध्वनियों में कई बार कई रहस्य भी होते हैं. अब आज हम आपको शिव के डमरू से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं जो आप शायद ही जानते होंगे. आइए बताते हैं. जी दरअसल डमरू भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता हैं. एक रिसर्च के अनुसार, इसे हिन्दू धर्म के साथ तिब्बती और बौद्ध धर्म में भी बहुत पूजनीय मानते हैं. जी दरअसल शिव इसे हमेशा अपने साथ धारण करते हैं. वहीं साधु, संतों और मदारियों के पास भी डमरू ही देखने के लिए मिलता है. कहते हैं यह ढोल के आकार का बना होता हैं इसके बीच के तंग हिस्सों से रस्सी बंधी होती हैं. वहीं इसके पहले और दूसरे छोर पर पत्थर या कांसे का एक एक टुकड़ा लगा होता हैं.
जी दरअसल डमरू को बीच से पकड़कर बजाने पर ये टुकड़े एक दूसरे की खाल पर बजते हैं और डम-डम की आवाज करते हैं. वहीं डमरू को डुगडुगी के नाम से भी जानते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि डमरू से बहुत ही चमत्मकारी मंत्रों का उच्चारण होता हैं इसकी ध्वनि से कर बहुत सी बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती हैं. इसी के साथ इसकी आवाज सुनने से कोई भी काम या परेशानी से छुटकारा मिलता हैं. इसके अलावा इसकी आवज से सिर पर पड़ी बड़ी से बड़ी बाधा दूर हो जाती हैं. इसके अलावा इसकी ध्वनि सुनने से मन शांत होता है. इसी के साथ यह तनाव भी कम कर देता है. कहते हैं इसकी ध्वनि और मंत्रों का जाप करने से सांप, बिच्छू आदि का जहर उतर जाता हैं. इस कारण यह शिव धारण करते हैं.
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