फ़ारूक़ अब्दुल्ला को ये क्या हुआ..? वैष्णोधाम पहुंचकर गाने लगे, तूने मुझे बुलाया शेरावालिए..

फ़ारूक़ अब्दुल्ला को ये क्या हुआ..? वैष्णोधाम पहुंचकर गाने लगे, तूने मुझे बुलाया शेरावालिए..
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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के मुखिया फारूक अब्दुल्ला हाल ही में कटरा में माता वैष्णो देवी के धाम पहुंचे। यहाँ एक कार्यक्रम में लाल चुनरी ओढ़कर "तूने मुझे बुलाया शेरावालिये" भजन गाने का उनका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या अब्दुल्ला सच में माता के दर्शन करने गए थे, या फिर वहां चल रहे विरोध प्रदर्शन को अपना राजनीतिक समर्थन देने?

दरअसल, कटरा में वैष्णो देवी मंदिर के लिए रोपवे बनाने का प्रस्ताव लंबे समय से चर्चा में है। इससे श्रद्धालुओं को पहाड़ चढ़ने में सुविधा मिलती, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि रोपवे से उनकी आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा। बड़ी संख्या में स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग श्रद्धालुओं को पालकी और टट्टू के जरिए मंदिर तक पहुंचाते हैं, जिससे उनकी अच्छी कमाई होती है। अगर रोपवे बन जाता है, तो उनकी रोजी-रोटी छिन जाएगी। इसके अलावा, ये बात भी कही जा रही है कि, इससे व्यापारियों को भी नुकसान होगा। 

 

इस विरोध के बीच फारूक अब्दुल्ला ने न केवल स्थानीय लोगों का समर्थन किया, बल्कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड और सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मंदिर का संचालन करने वालों को ऐसी योजनाएं लागू नहीं करनी चाहिए, जो स्थानीय लोगों के हितों को नुकसान पहुंचाए। उन्होंने कटरा के लोगों की तारीफ करते हुए कहा कि वे इस मुद्दे पर बहादुरी से लड़ रहे हैं। अब्दुल्ला ने कटरा के लोगों की समस्याओं को उठाते हुए श्राइन बोर्ड और सरकार को अजेय होने का घमंड छोड़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "जब दैवीय शक्ति प्रबल होती है, तो बाकी सब कुछ कम हो जाता है।" हालांकि, यह बात गौर करने लायक है कि जम्मू-कश्मीर में उनकी ही पार्टी की सरकार है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर स्थानीय लोगों की शिकायतें वाजिब हैं, तो उनकी पार्टी ने इस मुद्दे को हल करने के लिए अब तक क्या किया?  

फारूक अब्दुल्ला के भजन गाने और मातारानी के नाम पर अपना वीडियो वायरल करने से कई लोग प्रभावित हुए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि उन्होंने वास्तव में माता वैष्णो देवी के दर्शन किए या नहीं। कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम उनकी राजनीतिक छवि चमकाने और कटरा में चल रहे विरोध को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश है। कटरा के लोग अब भी इस बात पर अड़े हैं कि रोपवे प्रोजेक्ट से उनकी आजीविका छिन जाएगी। पालकी और टट्टू से जुड़े हजारों परिवार इस रोजगार पर निर्भर हैं। विरोध को देखते हुए सरकार को इस पर पुनर्विचार करने का दबाव बढ़ता जा रहा है।  

अब देखना यह होगा कि फारूक अब्दुल्ला का समर्थन कटरा के लोगों के लिए कितना असरदार साबित होता है, और क्या इस विवाद में मातारानी का नाम लेना उनके लिए सिर्फ राजनीतिक लाभ का जरिया था या इसमें भक्ति की भावना भी शामिल थी।

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