जयपुर: वर्ष 1992 में राजस्थान के अजमेर में देश के सबसे बड़े बलात्कार कांड का भंडाफोड़ हुआ था। इस वीभत्स और हैरतअंगेज़ कांड को कवर करने वाले पत्रकार मदन सिंह की उसी साल हत्या कर दी गई थी। अब लगभग 30 वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद 7 जनवरी 2023 को इस दिवंगत पत्रकार के दो बेटों ने एक शख्स को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया और चीख-चीखकर बताया कि उन्होंने अपने पिता की मौत का बदला लिया है।
फहलोत की सरकार नाकामी से राजस्थान हूआ शर्मसार डीजी ने 24 घंटे पहले ही अजमेर में दावा किया था कि प्रदेश की पुलिस ने गैंग्स की कमर तोड़ दी...22 घंटे बाद ही हिस्ट्रीशीटर की खुलेआम गोली मारकर हत्या@IgpAjmer @PoliceRajasthan#अपराधी_मस्त_गहलोत_सरकार_पस्त pic.twitter.com/iSjm3HHLch
— Rock Mahi Hariyana (@MahiHariyana) January 8, 2023
रिपोर्ट के अनुसार, दिवंगत पत्रकार मदन सिंह के बेटों ने जिसका क़त्ल किया है, वह हिस्ट्रीशीटर और पूर्व पार्षद सवाई सिंह था। मदन सिंह की हत्या मामले में सवाई सिंह भी आरोपी था। हालाँकि, बाद में अदालत ने पर्याप्त सबूत न होने के कारण उसे बरी कर दिया था। अब 30 साल बाद सवाई सिंह पर पुष्कर के बांसेली गाँव स्थित एक रिसॉर्ट में हमला किया गया। हमले में सवाई का दोस्त दिनेश तिवाड़ी भी गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। सवाई सिंह पर हमला करने वाले भाइयों में से एक सूर्य प्रताप सिंह को राजस्थान पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। वहीं, दूसरा भाई धर्म प्रताप सिंह फरार बताया जा रहा है।
सूर्य प्रताप को घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने ही पकड़कर पुलिस के हवाले किया था। एक चश्मदीद के मुताबिक, सूर्यप्रताप सिंह ने पकड़े जाने के बाद कहा कि, 'सवाई सिंह ने मेरे पिता को मारा, अब मैंने इसे मार दिया। अगला नंबर राजकुमार जयपाल (कांग्रेस के पूर्व विधायक) का है। बता दें कि राजकुमार जयपाल भी मदन सिंह हत्या मामले में आरोपित बनाए गए थे, लेकिन वे भी कोर्ट से बरी हो गए थे।
अजमेर सेक्स कांड और मदन सिंह की हत्या :-
बता दें कि, 1992 में जब अजमेर के एक नामी गिरामी स्कूल, 'गर्ल्स स्कूल सोफ़िया' की लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने और उन्हें ब्लैकमेल करने का सिलसिला सा चल पड़ा था, तब साप्ताहिक समाचार पत्र चलाने वाले मदन सिंह ने इस पूरे मामले को पुरजोर तरीके से उठाया था। हालांकि, अजमेर सेक्स कांड में कई बड़े नेता और रसूखदार लोगों का नाम भी शामिल था, इसलिए मदन सिंह को पहले चुप रहने के लिए कई बार धमकाया गया। लेकिन जब मदन सिंह ने इस मुद्दे को उठाना जारी रखा तो गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। श्रीनगर रोड पर मदन सिंह पर हमला हुआ था। हमले में जख्मी होने के बाद उन्हें अजमेर के JLN अस्पताल में एडमिट कराया गया। मगर, अस्पताल के अंदर ही गोली मारकर मदन सिंह की हत्या कर दी गई। मदन सिंह की माँ के बयान के आधार पर कांग्रेस के पूर्व MLA राजकुमार जयपाल, सवाई सिंह, नरेन्द्र सिंह समेत अन्य लाेगाें के खिलाफ हत्या का केस दर्ज हुआ। मगर, 20 वर्षों तक खींचे इस मुक़दमे में 2012 में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया। इसके बाद भी एक बार मदन सिंह के बेटों, सूर्यप्रताप और धर्म प्रताप ने सवाई सिंह और कांग्रेस नेता जयपाल पर फायरिंग की थी, मगर, उस वक़्त दोनों बच गए थे।
It was happening right under their noses, involving innocent girls, sexually exploited and blackmailed.
— Diksha Sharma (@Diksharma16) August 23, 2022
This could be one of the first cases of ‘Love Jihad’ in the nation.
Their main target were Hindu Girls. pic.twitter.com/S4zYCqKP8N
क्या है अजमेर सेक्स कांड :-
साल 1992 में अजमेर में 100 से अधिक हिंदू लड़कियों को फँसा कर उनका बलात्कार किया गया था। धोखे से उनकी अश्लील तस्वीरें खींचकर और उन्हें ब्लैकमेल कर उनसे कहा गया कि वे दूसरी लड़कियों को भी फँसा कर उनके पास लाए। इस तरह से यह रेप और ब्लैकमेलिंग की पूरी एक चेन बन चुकी थी। इस मामले में फारुक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती मुख्य आरोपित थे। तीनों ही यूथ कांग्रेस के बड़े नेता थे। फारूक चिश्ती तो उस वक़्त इंडियन यूथ कांग्रेस की अजमेर इकाई का प्रमुख था। वहीं, नफीस चिश्ती कांग्रेस की अजमेर यूनिट का उपाध्यक्ष था। अनवर चिश्ती अजमेर में कांग्रेस का संयुक्त सचिव था। यही नहीं, तीनों ही आरोपित अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी थे। यानी, आरोपितों के पास सियासी और मजहबी, दोनों ही ताकत थी, जिसके चलते कोई भी उनके खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं कर सका। वहीं, बलात्कार का शिकार होने वाली लड़कियां भी आम लड़कियां नहीं थी, इनमे से अधिकतर IAS, IPS जैसे बड़े अधिकारीयों की बेटियां थीं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों को इस बारे में पता तो पहले से था, मगर मामला हिन्दू-मुस्लिम का न हो जाए, इसलिए कोई कदम नहीं उठाया गया।
रिपोर्ट बताती हैं कि, आरोपितों ने सबसे पहले एक कारोबारी के बेटे के साथ कुकर्म कर उसकी अश्लील तस्वीर उतारी और उसे अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर आने के लिए बाध्य किया। आरोपिओं ने उसकी गर्लफ्रेंड का बलात्कार करने के बाद उसकी अश्लील तस्वीरें उतार लीं और उस लड़की को ब्लैकमेल कर अपनी सहेलियों को लाने को कहा गया। इसके बाद यह सिलसिला सा चल पड़ा। एक के बाद एक लड़की के साथ बलात्कार करना, उनकी नग्न तस्वीरें खींचना, फिर ब्लैकमेल कर उनसे भी अपनी बहन, सहेली, भाभी आदि को लाने के लिए कहना और उन लड़कियों के साथ भी यही घृणित कृत्य करना- इस चेन सिस्टम में 100 से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ भी बलात्कार और कई घिनौने कृत्य हुए। ये भी कहा जाता है कि स्कूल की इन बच्चियों के साथ बलात्कार करने में वालों में नेता, सरकारी अधिकारी तक शामिल थे। लेकिन, प्रशासन बस हिन्दू-मुस्लिम की टेंशन को लेकर चुप था।
जिन लड़कियों के बलात्कार हुए और उनकी अश्लील तस्वीरें खींची गई थीं, उनमें से कईयों ने आत्महत्या कर ली। एक ही साथ 6-7 लड़कों ने आत्महत्या कर लीं। क्योंकि उन्हें बचाने के लिए न प्रशासन आगे आ रहा था, न समाज और लोकलाज के डर से उनके परिवार वाले भी चुप थे। डिप्रेस्ड होकर इन लड़कियों ने मौत को गले लगाना ही उचित समझा। कई महिला संगठनों के प्रयासों के बाद भी लड़कियों के परिवार आगे नहीं आ रहे थे। इस गैंग में शामिल आरोपियों की बड़े-बड़े नेताओं तक पहुँच होने के कारण किसी ने मुंह नहीं खोला। बाद में किसी NGO ने इस मुद्दे को उठाया और फोटोज और वीडियोज के जरिए 30 लड़कियों को पहचाना गया। पीड़िताओं से बात की गई, उन्हें केस दर्ज कराने के लिए कहा गया, मगर सोसाइटी में बदनामी के नाम से कई परिवारों ने इंकार कर दिया। केवल 12 लड़कियां ही केस फाइल करने के लिए राजी हुईं। लेकिन, बाद में धमकियां मिलने पर 10 और लड़कियों ने कदम पीछे खींच लिए। बाकी बची दो पीड़िताओं ने ही मामले को आगे बढ़ाया और इन लड़कियों ने 16 आरोपियों की पहचान की।
अजमेर सेक्स कांड में कोर्ट ने क्या किया :-
1992 में पूरा स्कैंडल सामने आया, लड़कियों से आरोपियों की शिनाख्त करवाने के बाद 8 को अरेस्ट किया। 1994 में आरोपियों में से एक पुरुषोत्तम नामक शख्स ने जमानत पर छूटने के बाद ख़ुदकुशी कर ली। इसके 6 साल बाद इस मामले में पहला जजमेंट आया, अजमेर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 8 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसी बीच फारूक चिस्ती को मानसिक बीमार बना दिया गया, जिसके चलते उसका ट्रायल पेंडिंग हो गया। बाद में जिला अदालत ने 4 आरोपियों की सजा घटाते हुए उन्हें दस साल की जेल दे दी। कोर्ट से कहा गया कि दस साल जेल की सजा ही पर्याप्त है। लेकिन, सजा घटाए जाने के फैसले को राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। मगर, कोई फायदा नहीं हुआ, याचिका ख़ारिज हो गई। एक अन्य आरोपी सलीम नफीस को अजमेर सेक्स कांड के 19 वर्ष बाद 2012 में पकड़ा गया, लेकिन वो भी जमानत पर छुट कर जेल से बाहर आ गया, इसके बाद से सलीम नफीस की कोई खबर नहीं है। सालों-साल गुजर गए, लेकिन कोई नई खबर नहीं आई कि उन बलात्कारियों का क्या हुआ, कितने नेता रेपिस्ट निकले ? सलीम नफीस कहां है ? चिश्ती परिवार के मुख्य आरोपियों का क्या हुआ ? आज उन दर्जनों बेटियों में से कुछ तो ख़ुदकुशी कर चुकी हैं और कई अपने दिलों में इस डर को दबाकर जीने के लिए बाध्य हैं। ये विडम्बना ही है कि, देश के सबसे बड़े सेक्स कांड, जिसमे कांग्रेस के नेता से लेकर अजमेर दरगाह के कुछ लोग भी शामिल थे, जिसमे 100 से अधिक बच्चियों के शरीर और आत्मा के साथ खिलवाड़ किया गया, उसे दबाने की कई कोशिशें की गईं और सच पर पर्दा डाला गया।
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