टेक्नोलॉजी एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस दौर किसी भी फोटो, वीडियो और ऑडियो को मैनिपुलेट या छेड़छाड़ करके बिल्कुल अलग बनाया जा सकता है. पिछले दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड टूल्स का इस्तेमाल करके जब एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का डीपफेक (Deepfake) वीडियो वायरल हुआ तो हर कोई दंग रह गया. तत्पश्चात, टाइगर-3 से कैटरीना कैफ की फेक फोटोज और अब सारा तेंदुलकर-शुभमन गिल की फोटो को मॉर्फ करके वायरल किया गया. पहले भी डीपफेक का इस्तेमाल होते रहा है लेकिन एआई के आने के पश्चात् ऐसे मामलों में बढ़ोतरी हुई है.
क्या होता है डीपफेक (Deepfake)?
आजकल तकनीक और AI की सहायता से किसी भी तस्वीर, वीडियो और ऑडियो को मैनिपुलेट या छेड़छाड़ करके बिल्कुल अलग बनाया जा सकता है.मसलन, किसी नेता, अभिनेता या सेलिब्रिटी की स्पीच को उठा कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड टूल के माध्यम से पूरी तरह से बदला जा सकता है. मगर सुनने और देखने वाले को इसका पता भी नहीं चलेगा और वो उसे सच मान बैठेगा. इसी को डीपफेक (Deepfake) कहा जाता है. चलिए, अब जान लेते हैं वो कानून जो आपके लिए ऐसे मामलों में सहायक साबित हो सकते हैं.
पहले फोटोशॉप एवं दूसरे टूल्स की सहायता से लोगों की फोटोज को मॉर्फ करते थे मगर डीपफेक इससे आगे की कहानी हैं. इसमें फर्जी वीडियो को इतनी बारीकी से एडिट किया जाता है कि वो रियल लगने लगती है. इसके लिए एक एल्गोरिद्म को उस व्यक्ति के हाई क्वालिटी फोटोज और वीडियोज के माध्यम से ट्रेन किया जाता है जिसे डीप लर्निंग बोलते हैं. तत्पश्चात, दूसरे वीडियो में इस एल्गोरिद्म की सहायता से किसी एक हिस्से को मॉर्फ किया जाता है. इसकी सहायता से एडिट किया गया वीडियो पूरी तरह से रियल लगता है.इसके लिए वॉयस क्लोनिंग तक का उपयोग किया जाता है.
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