नोएडा से एक और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें डिजिटल रेप जैसी गंभीर घटना घटित हुई है। इस बार यह घटना एक मासूम बच्ची के साथ हुई, जिसकी उम्र सिर्फ 4 साल है। मामला नोएडा के थाना 39 क्षेत्र का है, जहां के एक निजी स्कूल में बच्ची पढ़ती थी। बच्ची की मां ने आरोप लगाया है कि उसके साथ स्कूल के बाथरूम में इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया गया। यह पहली बार नहीं है जब नोएडा में डिजिटल रेप का मामला सामने आया हो। इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं, जिनमें दोषियों को सजा भी मिली है। आइए, जानते हैं विस्तार से इस मामले और डिजिटल रेप के बारे में।
क्या है डिजिटल रेप?
जब पहली बार डिजिटल रेप शब्द सुना जाता है, तो कुछ लोग सोच सकते हैं कि इसका संबंध इंटरनेट या ऑनलाइन अपराध से होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। डिजिटल रेप का मतलब होता है जब आरोपी अपने हाथों की उंगलियों या पैर की उंगलियों से पीड़िता का यौन शोषण करता है। निर्भया केस के बाद 2013 में इस अपराध को कानून में जोड़ा गया था। इस कानून के अनुसार, हाथ या पैर की उंगलियों से जबरन शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश को यौन अपराध माना जाता है और इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 375 और पॉक्सो एक्ट के तहत कड़ी सजा का प्रावधान है।
2019 में हुआ था ऐसा ही मामला
इससे पहले, 21 जनवरी 2019 को नोएडा में एक और डिजिटल रेप का मामला सामने आया था। इस केस में आरोपी अकबर अली था, जिसकी उम्र 65 साल थी। वह पश्चिम बंगाल का रहने वाला था और नोएडा में अपनी बेटी से मिलने आया था। उसी दौरान उसने अपने बेटी के पड़ोस में रहने वाली 3 साल की मासूम बच्ची को टॉफी देने के बहाने बुलाया और उसके साथ डिजिटल रेप किया। इस मामले में दोषी को कोर्ट ने कड़ी सजा सुनाई थी, जिससे यह साफ होता है कि इस अपराध को कितनी गंभीरता से लिया जाता है।
डिजिटल रेप के लिए कितनी सजा मिलती है?
डिजिटल रेप के मामलों में, कानून बहुत सख्त है। 2019 के मामले में गौतम बुद्ध नगर जिला कोर्ट ने दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और साथ ही 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था। चूंकि इस तरह के अपराध में ज्यादातर पीड़ित बच्चियां होती हैं, इसलिए आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। इस एक्ट में सजा 20 साल से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है, और अगर पीड़िता की मृत्यु हो जाती है, तो आरोपी को फांसी की सजा भी दी जा सकती है।
नोएडा में बढ़ते डिजिटल रेप के मामले
नोएडा में डिजिटल रेप के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जो हमारे समाज के लिए एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है। बच्चों की सुरक्षा और स्कूलों में उनकी देखभाल सुनिश्चित करना हर माता-पिता और प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए। यह बेहद आवश्यक है कि स्कूल प्रशासन और समाज बच्चों की सुरक्षा के प्रति जागरूक हो, ताकि इस तरह की घिनौनी घटनाओं को रोका जा सके। डिजिटल रेप एक बेहद गंभीर अपराध है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह हमारी सामाजिक संरचना और बच्चों की सुरक्षा के प्रति हमारी जिम्मेदारी को चुनौती देता है। ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सख्त कानूनों के साथ-साथ हमें अपने आस-पास जागरूकता फैलानी होगी, ताकि कोई भी बच्चा या इंसान इस तरह के अपराध का शिकार न हो।
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