43 साल पहले आज ही के दिन 26 जून 1975 की सुबह रेडियों पर एक आवाज गूंजने लगी. ये आवाज भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की थी. इंदिरा ने देशवासियों के लिए एक सन्देश जारी किया था, जिसे सुनने के बाद पूरा देश सकते में था. इंदिरा ने अपने संदेश में कहा कि, 'भाइयों, बहनों...राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है. लेकिन इससे सामान्य लोगों को डरने की जरूरत नहीं है.' हालांकि इंदिरा के इस ऐलान ने देश को हिलाकर रख दिया. चारों तरफ अफरातफरी का माहौल हो गया. सरकार की आलोचना करने वालों को जेलों में धूस दिया गया. यहां तक की समाजित तौर पर लिखने बोलने पर भी पाबंदी लगा दी गई. जो लोग आपातकाल के दौर से गुजरे वह इस समय के दर्द को समझ सकते है. हालांकि जो लोग इस बारे में ज्यादा नहीं जानते है उठे आज हम कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब देने जा रहे है.
आखिर 'आपातकाल' होता क्या है?
भारतीय संविधान के अनुसार इस प्रावधान का इस्तेमाल ऐसे समय में किया जाता है जब देश को किसी आंतरिक, बाहरी या आर्थिक रूप से किसी तरह के खतरे की आशंका होती है.
आपातकाल की जरूरत क्यों है?
उदाहरण के लिए अगर कोई पड़ोसी देश हम पर हमला करता है, तो हमारी सरकार को जवाबी हमले के लिए संसद में किसी भी तरह का बिल पास न कराना पड़े. चूंकि हमारे देश में संसदीय लोकतंत्र है, इसलिए हमारे देश को किसी भी देश से युद्ध करने के लिए पहले संसद में बिल पास कराना होता है. लेकिन आपात स्थितियों के लिए संविधान में ऐसे प्रावधान हैं, जिसके तहत केंद्र सरकार के पास ज्यादा शक्तियां आ जाती हैं और केंद्र सरकार अपने हिसाब से फैसले लेने में समर्थ हो जाती है. केंद्र सरकार को शक्तियां देश को आपातकालीन स्थिति से बाहर निकालने के लिए मिलती हैं.
भारतीय संविधान में तीन तरह के आपातकाल का जिक्र है. राष्ट्रीय आपातकाल (नेशनल इमरजेंसी), राष्ट्रपति शासन (स्टेट इमरजेंसी) और आर्थिक आपातकाल (इकनॉमिक इमरजेंसी)
1. नेशनल इमरजेंसी (अनुच्छेद 352) देश में नेशनल इमरजेंसी का ऐलान विकट परिस्थितियों में किया जा सकता है. इसका ऐलान युद्ध, बाहरी आक्रमण और राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर किया जा सकता है. आपातकाल के दौरान सरकार के पास तो असीमित अधिकार हो जाते हैं, जिसका इस्तेमाल वह किसी भी रूप में कर सकती है, लेकिन आम नागरिकों के सारे अधिकार छीन लिए जाते हैं.
2. राष्ट्रपति शासन या स्टेट इमरजेंसी (अनुच्छेद 356) संविधान के अनुच्छेद 356 के अधीन राज्य में राजनीतिक संकट को देखते हुए संबंधित राज्य में राष्ट्रपति आपात स्थिति का ऐलान कर सकते हैं. जब किसी राज्य की राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्था फेल हो जाती है या राज्य, केंद्र की कार्यपालिका के किन्हीं निर्देशों का अनुपालन करने में असमर्थ हो जाता है, तो इस स्थिति में ही राष्ट्रपति शासन लागू होता है.
3. आर्थिक आपात (अनुच्छेद 360) अनुच्छेद 360 के तहत आर्थिक आपात की घोषणा राष्ट्रपति उस वक्त कर सकते हैं. जब उन्हें लगे कि देश में ऐसा आर्थिक संकट बना हुआ है, जिसके कारण भारत के वित्तीय स्थायित्व या साख को खतरा है. अगर देश में कभी आर्थिक संकट जैसे विषम हालात पैदा होते हैं और सरकार दिवालिया होने के कगार पर आ जाती है या फिर भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त होने की कगार पर आ जाती है, तब इस आर्थिक आपात के अनुच्छेद का इस्तेमाल किया जा सकता है.
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