पूरी दुनिया में इस्लामी राज, हर तरफ शरिया कानून... जानिए आतंकी संगठन ISIS-K के खौफनाक इरादे

पूरी दुनिया में इस्लामी राज, हर तरफ शरिया कानून... जानिए आतंकी संगठन ISIS-K के खौफनाक इरादे
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काबुल: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास हुए फिदायीन हमले में 13 अमेरिकी कमांडो सहित 103 लोगों की मौत हो गई। जिसके बाद काबुल एयरपोर्ट से विमानों का परिचालन बंद कर दिया गया है। आतंकी संगठन ISIS के खुरासान समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। हालांकि, अमेरिका ने दावा किया है कि उसने एयरस्ट्राइक कर काबुल हमले के मास्टरमाइंड को मार गिराया है।  लेकिन अब भी यह खूंखार आतंकी संगठन दुनियाभर के लिए सिरदर्द बना हुआ है। ब्रिटेन ने इस मुद्दे पर आपात बैठक बुलाई थी, वहीं फ्रांस ने भी तय किया है कि वो अपने राजदूत को अफगानिस्तान से वापस ले आएगा। फ्रांस के राजदूत ने अपने नागरिकों को अलर्ट करते हुए संदेश जारी किया कि यदि वे काबुल एयरपोर्ट के पास हों तो वहां से हट जाएं। 

ये तो सभी जानते हैं कि, आतंकी संगठन तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया है और देश के लोगों पर अत्याचार कर रहा है, लेकिन काबुल पर हमला करने वाले ISIS-खुरासान के बारे में शायद ही किसी को पर्याप्त जानकारी हो। तो आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ISIS खुरासान?

ISIS खुरासान, इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया (ISIS) का ही एक हिस्सा है, जिसे अफगानिस्तान-पाकिस्तान के दहशतगर्द चलाते हैं। इसका हेडक्वार्टर अफगानिस्तान के ही नांगरहार राज्य में मौजूद है, जो पाकिस्तान के बेहद करीब है। तालिबानी कमांडर मुल्ला उमर के इंतकाल के बाद तालिबान के बहुत से खूंखार आतंकवादी ISIS खुरासान में भर्ती हो गए थे। इस तरह ये तालिबान से ही निकला समूह भी कहा जा सकता है। ISIS खुरासान का उद्देश्य खुरासान राज्य की स्थापना करना है। दरअसल, फ़ारसी शब्द 'खुरासान' का अर्थ होगा है, जहां से सूरज उगता है। तीसरी-चौथी सदी में अरब से निकले लोग वर्तमान ईरान पहुंचे और जहां वो आबाद हुए उसका नाम खुरासान पड़ा। इसका दायरा बढ़ता गया और वो एक बड़ी ताकत के रूप में उभरकर सामने आया। बाद में ISIS के सरगना अबू बक्र अल बगदादी की नजर खुरासान पर पड़ी और उसने 'इस्लामिक स्टेट ऑफ़ खुरासान' का नक्शा तैयार किया। खुरासान राज्य के नक्शे में भारत का गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर भी शामिल है। साथ ही इसमें आधा चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान भी आता है। 

तालिबान से ISIS-K का संबंध

तालिबान और ISIS-K एक दूसरे के दुश्मन हैं। दरअसल, तालिबान का प्रभाव अफगानिस्तान में है। वहीं ISIS-K भी अफगानिस्तान से निकलकर बगदादी के खुरासान स्टेट के ख्वाब को पूरा करना चाहता है। ISIS-K तालिबान की तरह किसी सियासी एजेंडा में भरोसा नहीं रखता। उसका मानना है कि तालिबान जो कर रहा है, वो इस्लामी हुकूमत बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए वो तालिबान से भी अधिक कट्टर और खूंखार है। यही वजह है कि अफगानिस्तान में उसने अपने वर्चस्व वाले इलाकों में बहुत ही सख्ती से शरिया कानून लागू कर रखा है। जो भी शरिया कानून को मानने से मना करता है, या फिर उसका उल्लंघन करता है, तो ISIS-K उसे बहुत ही बेरहमी से सजा देता है। यही बात ISIS-K को तालिबान से भी अधिक खतरनाक आतंकी संगठन बनाता है। उसका मकसद पूरी दुनिया में इस्लाम का राज कायम करना है।

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