क्या है पॉजिटिव पेरेंटिंग?

क्या है पॉजिटिव पेरेंटिंग?
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पेरेंटिंग एक बड़ी जिम्मेदारी है और इसमें कभी भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। माता-पिता का फोकस अक्सर बच्चों की गलतियों को सुधारने पर होता है, लेकिन कभी-कभी बच्चों की सराहना और सकारात्मक व्यवहार भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है।

पॉजिटिव पेरेंटिंग क्या है?

लाइफ कोच और न्यूमरोवाणी के संस्थापक सिद्धार्थ एस. कुमार बताते हैं कि पॉजिटिव पेरेंटिंग का मतलब सिर्फ बच्चों को रोकना-टोकना नहीं है, बल्कि उनके अच्छे कामों की तारीफ भी करना है। जब माता-पिता अपने बच्चों की सफलताओं और अच्छे व्यवहार की सराहना करते हैं, तो इससे बच्चे का आत्म-विश्वास बढ़ता है। बच्चे को शांति और प्यार के साथ सही-गलत की समझ दी जानी चाहिए, और हर गलती पर डांटना जरूरी नहीं है।

बच्चों के विकास पर पॉजिटिव पेरेंटिंग का असर

माता-पिता की परवरिश बच्चों के आत्म-विश्वास, आत्म-सम्मान और सामाजिक कौशल को प्रभावित करती है। पॉजिटिव पेरेंटिंग से बच्चों को सही प्रोत्साहन मिलता है, जो उनके आत्म-मूल्य को बढ़ाता है। यथार्थवादी अपेक्षाएं निर्धारित करने से बच्चे सफल होते हैं, और उन्हें स्वतंत्रता देने से वे स्वायत्तता विकसित करते हैं।

बाहर की दुनिया का महत्व

बच्चों की गलतियों पर सहायक और समझदारी भरी प्रतिक्रियाएं उनकी लचीलापन को बढ़ाती हैं। भावनात्मक मान्यता से उनका आत्म-मूल्य बढ़ता है। सामाजिक संपर्क को प्रोत्साहित करने से बच्चों का सामाजिक आत्मविश्वास मजबूत होता है। सुसंगत सीमाएं और सकारात्मक आत्म-छवि भी आत्म-नियंत्रण और आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं, जिससे बच्चे जीवन में आत्म-विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं।

पॉजिटिव पेरेंटिंग के टिप्स

  1. गलतियों को प्यार से समझाएं: अगर बच्चे से कोई गलती हो भी जाए, जिससे कोई बड़ा नुकसान न हो, तो उन्हें प्यार से समझाएं। इससे बच्चे को डर नहीं लगेगा और वे गलती से सीख सकेंगे।

  2. समय दें: आप कितने भी व्यस्त क्यों न हों, अपने बच्चों को समय देना महत्वपूर्ण है। इससे वे महसूस करेंगे कि वे आपके लिए महत्वपूर्ण हैं।

  3. तारीफ करें: बच्चों की सफलताओं और अच्छे कामों पर तारीफ करें। यह उनका आत्म-विश्वास बढ़ाने में मदद करता है।

  4. सख्ती से बचें: छोटे बच्चों पर अधिक सख्ती करना उनकी विकास प्रक्रिया को बाधित कर सकता है। उन्हें स्वतंत्रता और समर्थन प्रदान करें, ताकि वे अपनी गलतियों से सीख सकें।

  5. सकारात्मक व्यवहार अपनाएं: हर गलती पर आलोचना करने की बजाय, सकारात्मक व्यवहार अपनाएं। इससे बच्चे खुद को बेहतर महसूस करेंगे और उनकी आत्म-छवि सकारात्मक होगी।

पॉजिटिव पेरेंटिंग से आप अपने बच्चों को केवल सही दिशा ही नहीं दिखाते, बल्कि उन्हें एक मजबूत और आत्म-विश्वासी व्यक्ति बनने में भी मदद करते हैं। अपने बच्चों के प्रति प्यार और समर्थन दिखाते हुए, आप उनकी ग्रोथ को सही दिशा में बढ़ावा दे सकते हैं।

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