जानिए क्या है शरिया कानून? महिलाओं के लिए है कितना खतरनाक

जानिए क्या है शरिया कानून? महिलाओं के लिए है कितना खतरनाक
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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के साथ-साथ चरमपंथी संगठन ने साफ़ कर दिया है कि वे किस प्रकार युद्धग्रस्त मुल्क पर शासन करने वाला है। तालिबान ने कहा कि संगठन अफगानिस्तान पर शरिया अथवा इस्लामिक कानून के माध्यम से शासन चलाएगा। संगठन ने रविवार को काबुल पर कब्जा जमाते हुए अपनी जीत की घोषणा कर दी। इस प्रकार इसने तकरीबन दो दशक से जारी अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन की देश में उपस्थिति को लगभग ख़त्म कर दिया। तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण के पश्चात् सभी लोगों के लिए ‘आम माफी’ देने का आधिकारिक का ऐलान किया। इस्लामी अमीरात संस्कृति आयुक्त के सदस्य ईनामुल्लाह समनगनी ने इसकी घोषणा करते हुए महिलाओं से सरकार में सम्मिलित होने की गुजारिश की। उन्होंने कहा, इस्लामी अमीरात नहीं चाहता है कि महिलाएं पीड़ित हों। हालांकि, व्यक्तियों का मानना है कि शरिया कानून के कारण देश में महिलाओं की हालत बिगड़ सकती है।

आखिर क्या है शरिया कानून?
शरिया इस्लाम की कानूनी व्यवस्था है। इसे इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान, सुन्नाह तथा हदीस से लिया गया है। शरिया का शाब्दिक मतलब है, ‘पानी का एक स्पष्ट और व्यवस्थित रास्ता’ होता है। शरिया कानून के माध्यम से सभी मुस्लिमों को जीने का एक मार्ग बताया जाता है। इसमें उन्हें इस्लाम में बताई गई चीजों का पालन करना होता है, मसलन नमाज पढ़ना, रोजा रखना तथा निर्धनों को दान करना सम्मिलित है। इसका लक्ष्य मुसलमानों को यह समझने में सहायता करना है कि उन्हें अपनी जिंदगी के प्रत्येक पहलू को ऊपर वाले की इच्छा के मुताबिक कैसे जीना चाहिए।

शरिया का व्यवहार में क्या अर्थ है?
शरिया एक मुसलमान को दैनिक जिंदगी के प्रत्येक पहलू से अवगत कराता है। उदाहरण के लिए, एक मुस्लिम को उसके सहयोगी काम के पश्चात् पब में आने के लिए बुलाते हैं। लेकिन अब वो ये सोच रहा है कि उसे जाना चाहिए या नहीं। ऐसे में वो मुस्लिम शख्स सलाह के लिए शरिया के विद्वान के पास जा सकता है, जिससे ये सुनिश्चित हो सके कि वे अपने धर्म के कानूनी ढांचे के अंदर कार्य कर पाए। दैनिक जीवन के अन्य इलाकों में जहां मुसलमान मार्गदर्शन के लिए शरिया कानून की तरफ रुख कर सकते हैं, उनमें पारिवारिक कानून, वित्त तथा कारोबार सम्मिलित हैं।

इस कानून की कुछ कठोर सजा क्या है?
शरिया कानून अपराधों को दो श्रेणी में बांटता है। इसमें पहला ‘हद’ अपराध है, जो गंभीर अपराध है तथा इसमें सजा दी जाती है। दूसरा ‘तजीर’ अपराध है, जहां सजा देने के निर्णय को जज के विवेक पर छोड़ दिया जाता है। ‘हद’ अपराधों में चोरी सम्मिलित हैं। ऐसा करने पर आरोपी के हाथ काट दिए जाते हैं। वहीं, यौन संबंधी दोषियों के लिए सख्त दंड दिया जाता है, जिसमें पत्थर मारकर मौत की सजा देना सम्मिलित है। कुछ इस्लामी संगठनों ने तर्क दिया है कि ‘हद’ अपराधों के लिए दंड मांगने पर इसके नियमों में सुरक्षा के कई उपाय निर्धारित हैं। यही कारण है कि सजा से पहले ठोस सबूत की आवश्यकता होती है।

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