बरमूडा ट्रायंगल, जिसे डेविल्स ट्रायंगल के नाम से भी जाना जाता है, पश्चिम अटलांटिक महासागर में स्थित एक ऐसा इलाका है, जो हमेशा से रहस्यमयी घटनाओं के लिए चर्चा में रहा है। यह क्षेत्र मियामी (फ्लोरिडा), बर्मुडा और पुर्तगाल के अज़ोरेस द्वीप समूह के बीच फैला हुआ है। यहां जहाजों और विमानों के अचानक गायब होने की घटनाएं कई दशकों से लोगों को हैरान करती आ रही हैं।
बरमूडा ट्रायंगल में गायब हुए जहाज और विमान: 20वीं सदी के मध्य से बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य दुनिया के सामने आने लगा। 1918 में USS Cyclops नाम का नौसेना जहाज, जिसमें 309 लोग सवार थे, इस क्षेत्र में गायब हो गया। यह घटना बेहद चौंकाने वाली थी और इसके बाद से ही बरमूडा ट्रायंगल को एक खतरनाक जगह के रूप में देखा जाने लगा। इसके बाद 1945 में, फ्लाइट 19 नामक एक मिशन भी इसी इलाके में गायब हो गया। फ्लाइट 19 एक ग्रुप ट्रेनिंग मिशन था, जिसमें 5 विमान शामिल थे। दिलचस्प बात ये है कि जब इस मिशन को ढूंढने के लिए एक बचाव विमान भेजा गया, तो वह भी इस इलाके में लापता हो गया। 1948 में दो और घटनाएं सामने आईं जब Star Tiger और DC-3 विमान इसी जगह से गायब हो गए।
कितने जहाज और विमान हुए गायब?: बरमूडा ट्रायंगल में अब तक कितने जहाज और विमान गायब हुए, इसका कोई ठोस आंकड़ा नहीं है। लेकिन कुछ रिपोर्ट्स का मानना है कि इस क्षेत्र में करीब 1,000 से अधिक जहाज और विमान लापता हो चुके हैं। हालांकि, गायब हुए इन जहाजों और विमानों का मलबा बहुत कम ही मिलता है। कुछ घटनाओं में मलबे के कुछ हिस्से जरूर पाए गए, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता।
गायब होने का कारण क्या है?: बरमूडा ट्रायंगल में जहाजों और विमानों के गायब होने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं। एक तर्क यह है कि इस इलाके में अचानक आने वाले तूफान और खराब मौसम की वजह से ये हादसे होते हैं। साथ ही, समुद्र के गहरे गड्ढे और जटिल धाराएं भी जहाजों को अपने भीतर खींच लेती हैं। कुछ लोग बरमूडा ट्रायंगल को दूसरी दुनिया या एलियंस से भी जोड़ते हैं। कई हॉलीवुड फिल्मों में इसे एक रहस्यमयी जगह के रूप में दिखाया गया है, जहां कोई भी जहाज या विमान अंदर जाते ही गायब हो जाता है और किसी दूसरी दुनिया में पहुंच जाता है। हालांकि, विज्ञान के पास इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
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