नई दिल्ली: भारत सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दुनिया में हिंदुस्तान की नकारात्मक छवि दिखाने वालों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि भारत में दूसरी सबसे बड़ी आबादी मुसलमानों की है। देश में 1947 के बाद से लगातार मुस्लिमों की आबादी बढ़ी है। जबकि दूसरी तरफ पाकिस्तान में सभी तरह के अल्पसंख्यक तबाह हो रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि मुसलमान भारत में सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं और निरंतर प्रगति कर रहे हैं। निर्मला ने सवाल उठाने वाले लोगों से पूछा है कि क्या भारत में वर्ष 2014 के बाद से मुसलमान आबादी कम हो गई है?
भारत में निवेश या पूंजी प्रवाह को प्रभावित करने वाली धारणाओं पर पीटरसन इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स (PIIE) के अध्यक्ष एडम एस पोसेन को जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि उन लोगों द्वारा बनाई जा रही धारणाओं को सुनें, जो जमीन पर भी नहीं गए हैं और जो रिपोर्ट पेश करते हैं। उन्होंने कहा है कि, 'मुझे लगता है कि इसका उत्तर उन निवेशकों के पास है, जो भारत आ रहे हैं, और वे आते रहे हैं। और किसी ऐसे व्यक्ति के तौर पर जो निवेश प्राप्त करने में दिलचस्पी रखता है, मैं सिर्फ इतना कहूंगी, कि आइए और देखिए कि भारत में क्या हो रहा है।
भारत में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की धारणा को सिरे से खारिज करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि, 'भारत में पूरे विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है। अगर मुस्लिमों के खिलाफ कोई हिंसा धारणा सच है, तो क्या यह आबादी सिर्फ संख्या में बढ़ रही है। अगर वास्तव में है, तो क्या राष्ट्र ने उनका जीवन कठिन बना दिया गया है, जो कि इनमें से ज्यादातर लेखों में लिखित है। मैं पूछना चाहूंगी कि यदि ऐसा है तो, क्या भारत में मुसलमान आबादी 1947 की तुलना में बढ़ रही है?'
वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत दिनों-दिन बद से बदतर होती जा रही है और उनकी आबादी लगातार दिन घटती जा रही है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को मामूली आरोप में भी मौत की सजा दे दी जाती है। ईशनिंदा कानून, अधिकतर मामलों में, व्यक्तिगत प्रतिशोध को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पीड़ितों को फ़ौरन दोषी मान लिया जाता है, यहां तक कि उचित जांच के बगैर और एक जूरी के तहत परीक्षण आयोजित किए बगैर।
सीतारमण ने कहा कि, 'विरोध के रूप में, कुछ लोग कहते हैं, मैं एक देश (पाकिस्तान) का नाम क्यों लेती हूं? तो इसका जवाब है कि, आजादी के समय भारत और पाकिस्तान दोनों अलग-अलग देश बने थे। पाकिस्तान ने खुद को एक इस्लामिक देश घोषित कर दिया। मगर फिर भी उसने कहा था कि अल्पसंख्यकों की रक्षा की जाएगी। किन्तु आज, हालात ये हैं कि हर अल्पसंख्यक की तादाद घट रही है, यहां तक कि कुछ मुस्लिम संप्रदाय भी खत्म हो गए हैं।' बता दें कि, यहाँ सीतारमण जिस मुस्लिम सम्प्रदाय के ख़त्म होने के बारे में बात कर रहीं हैं, वो अहमदिया मुस्लिम हैं, जिन्हे पाकिस्तान के अधिकतर कट्टरपंथी मुस्लिम नहीं मानते और उन पर, उनकी मस्जिदों पर, यहाँ तक कि, अहमदियों की कब्रों
पर भी हमला करते रहते हैं।
सीतारमण ने पाकिस्तान के मुस्लिमों की भारत से तुलना करते हुए कहा कि भारत में मुस्लिम काफी बेहतर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, 'मुहाजिरों, शिया और हर दूसरे समूह के खिलाफ हिंसा की जा रही है। उन्हें मुख्यधारा में स्वीकार नहीं किया जाता है। मुझे नहीं पता, सुन्नियों को शायद। जबकि भारत में आप पाएंगे कि मुसलमानों का हर तबका अपना कारोबार कर रहा है। उनके बच्चे शिक्षित हो रहे हैं। सरकार द्वारा उन्हें फैलोशिप प्रदान की जा रही है।'
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