रमज़ान का महीना मुस्लिम धर्म का सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने में इस्लाम धर्म के लोग रोज़ा रखकर गरीबो के दर्द को, उनकी पीड़ा और उनकी भूख-प्यास को महसूस करते है. सूर्योदय होने से लेकर सूर्यास्त तक पुरे 30 दिनों तक के लिए रोज़ा रखा जाता है. जहां हम अगर दो-तीन घंटे कुछ खाते नहीं है तो हमारे शरीर में कमजोरी सी महसूस होने लगती है वही जो लोग 15 घण्टे या उससे ज्यादा रोज़ा रखते है उनके शरीर पर इसका क्या असर पड़ता होगा? तो चलिए हम आपको बताते है-
जब भोजन करने के 8 घंटे तक या उससे भी ज्यादा समय तक शहर में कुछ नहीं जाता है तो ऐसी दशा में शरीर की आंत के भोजन से पोषक तत्वों को पोषक तत्वों को अवशोषित करने का समय है.
ऐसे में हमारे शरीर लिवर में जमा ग्लूकोज और मांसपेशियों से ऊर्जा पाने लगता है.
रोज़ा रखने के दौरान वो समय होता है जब शरीर भुखमरी की स्थिति में आ जाता है और ऐसे में शहर में ऊर्जा पाने के लिए मांसपेशियों का इस्तेमाल करना होता है. लेकिन एक बात ध्यान रहे ऐसा तब ही होता है जब आपका शरीर दो-तीन हफ्तों तक उपवास की स्थिति में रहे.
रमज़ान में सुबह से लेकर शाम तक के बीच में ही रोज़ा रखना होता है ऐसे में ये वजन घटाने में भी काफी मदद करता है.
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