क्या है अतुल सुभाष की पूरी कहानी? आत्महत्या से पहले बनाया डेढ़ घंटे का वीडियो

क्या है अतुल सुभाष की पूरी कहानी? आत्महत्या से पहले बनाया डेढ़ घंटे का वीडियो
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जौनपुर: 34 वर्षीय AI इंजीनियर अतुल सुभाष की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? बीते दिनों अतुल सुभाष की खुदखुशी करने के बाद ऐसे ही कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इंजीनियर अतुल सुभाष, जो उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी थे। आत्महत्या से पहले अतुल सुभाष ने 24 पन्नों का एक नोट और करीब डेढ़ घंटे का एक वीडियो छोड़ा। इस वीडियो में उन्होंने अपनी पत्नी, ससुराल वालों और न्यायिक प्रणाली को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया। अतुल ने वीडियो के माध्यम से यह भी बताया कि कैसे उनके साथ न्यायिक प्रणाली, पुलिस और समाज में पुरुषों की उपेक्षा की जा रही थी। उन्होंने जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज पर गंभीर आरोप भी लगाए।

पत्नी और ससुराल वालों पर आरोप
अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी को खुदखुशी के लिए जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि उनकी पत्नी ने पहले एक करोड़ रुपये का सेटलमेंट मांगा था, मगर बाद में यह राशि बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये कर दी थी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी ने अपने बेटे से मिलने का अवसर नहीं दिया तथा उस पर मानसिक अत्याचार किया। अतुल का दावा था कि उनकी पत्नी के पिता की बीमारी से मौत के पश्चात्, ससुराल वालों ने इसके लिए हत्या की एफआईआर दर्ज कर दी थी। उन्होंने जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज पर भी गंभीर आरोप लगाए, जिनमें रिश्वत मांगने और मामले को निपटाने के लिए दबाव बनाने का आरोप था।

​आत्महत्या से पहले अतुल सुभाष के द्वारा बनाए गए वीडियो का कुछ भाग

फैमिली कोर्ट की जज पर आरोप
अतुल सुभाष ने वीडियो में जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि जज ने मामलों को सुलझाने के लिए उन्हें 5 लाख रुपये की रिश्वत देने का दबाव डाला। उन्होंने यह भी बताया कि जज के सामने ही उनकी पत्नी ने उनसे खुदखुशी करने का सुझाव दिया तथा जज हंसी में यह सुनकर मजाक उड़ा रही थीं। अतुल ने कहा कि जज की अदालत में तारीख के लिए भी पेशकार को घूस देनी पड़ती थी। उन्होंने आरोप लगाया कि फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज ने उनसे तीन करोड़ रुपये का मेंटिनेंस देने की मांग की थी तथा कहा था कि दिसंबर तक वह इस मामले को सुलझा लेंगी।

न्यायिक व्यवस्था और पुलिस पर आरोप
अतुल ने वीडियो में न्यायिक व्यवस्था और पुलिस पर भी निशाना साधा। उनका कहना था,  "मुझे लगता है कि मेरे लिए मर जाना ही बेहतर होगा क्योंकि जो पैसे मैं कमा रहा हूं, उससे मैं अपने ही दुश्मन को बलवान बना रहा हूं. मेरा कमाया हुआ पैसा मुझे ही बर्बाद करने में लग रहा है. मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा. मैं ही नहीं रहूंगा तो न पैसा होगा और न ही मेरे मां-बाप और भाई को परेशान करने का कोई कारण होगा." उन्होंने यह भी बताया कि अब तक इस केस में उन्हें कोर्ट से 120 तारीखें मिल चुकी हैं और वह खुद बेंगलुरु से जौनपुर 40 बार जा चुके थे। इसके अतिरिक्त, उनके माता-पिता और भाई भी अदालत के चक्कर काट रहे थे, जिससे उनका जीवन अत्यधिक तनावपूर्ण हो गया था।

अतुल ने बताया कि उन्हें साल में सिर्फ 23 छुट्टियां मिलती थीं, और इतनी कम छुट्टियों के बावजूद उन्हें निरंतर अदालतों के चक्कर काटने पड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि यह स्थिति किसी के लिए भी असहनीय हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार को भी उनकी मानसिक स्थिति और तनाव का सामना करना पड़ा। अतुल ने कहा कि उन्हें इस केस के चलते मानसिक एवं शारीरिक रूप से इतना थकावट महसूस हो रहा था कि वह न्याय की उम्मीद छोड़ चुके थे।

अस्थि विसर्जन और न्याय की अपील
अपने वीडियो में अतुल ने यह भी कहा, "मेरा अस्थि विसर्जन तब तक नहीं होना चाहिए जब तक मुझे परेशान करने वालों को सजा नहीं मिलती। अगर इतने सारे सबूत होने के बावजूद कोर्ट सजा नहीं देती, तो मेरी अस्थि वहीं कोर्ट के बाहर गटर में बहा दी जानी चाहिए।" उन्होंने न्यायपालिका से अपील की कि उनके परिवार को और उन्हें मानसिक यातनाएं न दी जाएं और उनके मामले की सही प्रकार से सुनवाई हो।

बेटे के बारे में अपनी आखिरी इच्छा
अतुल ने अपने बेटे के बारे में भी वीडियो में बातें कीं। उनका कहना था कि उनकी पत्नी ने साढ़े 4 वर्षीय बेटे से मिलने का अवसर तक नहीं दिया। अपनी मौत से पहले, उन्होंने बेटे के लिए एक गिफ्ट छोड़ा, जिसे वह 2038 में 18 साल का होने पर खोलेगा। अतुल ने यह भी कहा कि उनकी अंतिम इच्छा यह है कि उनकी पत्नी बेटे को उनके माता-पिता को सौंप दे, ताकि वह उसे अच्छे संस्कार दे सकें। उन्होंने यह विश्वास जताया कि उनके माता-पिता और भाई उसे बहुत अच्छे तरीके से पालेंगे।

अतुल के पिता का बयान
अतुल के पिता, पवन कुमार ने इस घटना के बारे में चर्चा करते हुए कहा, "उसने हमें बताया था कि मध्यस्थता कोर्ट में जो लोग हैं, वे कानून के अनुसार काम नहीं करते। उसे बेंगलुरु से जौनपुर कम से कम 40 बार आना पड़ा। उसकी पत्नी निरंतर आरोप लगाती रहती थी। वह निराश जरूर हुआ होगा, मगर उसने हमें कभी ऐसा महसूस नहीं होने दिया। हमें अचानक घटना की जानकारी प्राप्त हुई, जब उसने रात के करीब एक बजे हमारे छोटे बेटे को एक मेल भेजा। यह 100 फीसदी सच है, जो उसने अपनी पत्नी और उसके परिवार के खिलाफ आरोप लगाए।"

शादी और उत्पीड़न के आरोप
अतुल और उनकी पत्नी की शादी 2019 में हुई थी। शादी के दो वर्ष पश्चात्, पत्नी ने उनके खिलाफ दहेज उत्पीड़न, हत्या और आप्राकृतिक यौन शोषण के आरोप लगाए थे, जिससे अतुल के जीवन में तनाव और दबाव बढ़ता चला गया था।

कब घटी घटना?
9 दिसंबर को प्रातः 6 बजे पुलिस को आत्महत्या की सूचना प्राप्त हुई। पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची, तो घर अंदर से बंद था। स्थानीय लोगों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया तथा पाया गया कि अतुल ने नायलॉन की रस्सी का उपयोग करके बेडरूम में लगे सीलिंग फैन से फांसी लगाई थी। परिवार को सूचना दी गई तथा अतुल के भाई विकास कुमार घटनास्थल पर पहुंचे। विकास ने बताया कि अतुल को उसके ससुराल वालों ने झूठे मामलों में फंसाया था तथा 3 करोड़ रुपये की मांग की थी, जिससे वह मानसिक रूप से तनावग्रस्त था। इसकी वजह से उसने खुदखुशी की। वही इस मामले में पीड़ित परिवार की तहरीर पर पुलिस ने बीएनएस अधिनियम की धारा 108 और 3(5) के तहत मुकदमा दर्ज किया है और तहकीकात जारी है।

अतुल सुभाष की आत्महत्या ने समाज, कानूनी प्रक्रिया और पुलिस के कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह घटना इस बात का संकेत है कि न्याय का सही मिलना और मानसिक उत्पीड़न से बचाव एक बड़ी समस्या बन चुकी है। अतुल के आरोप और उसके दुख भरे शब्द हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि हमें अपने समाज और न्यायिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, ताकि इस तरह के मामलों को रोका जा सके।

 

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