भारत और भारतीयता हमेशा से कुछ विदेशियों की आँखों की किरकिरी बने हुए हैं। फिर चाहे आयुर्वेद हो या गुरुकुल, सदैव हमें तथाकथित आधुनिकता का हवाला देते हुए अवैज्ञानिक ठहरा दिया जाता है। आज जिस सूर्य ग्रहण-चंद्र ग्रहण का पता लगाने के लिए NASA ने अरबों रुपए खर्च कर उपकरण बना रखे हैं, उनका सटीक पूर्वानुमान हमारा पंचांग युधिष्ठिर काल से देता आ रहा है। जब 1781 में जर्मन ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम हर्षल ने यूरेनस की खोज की, तब पश्चिमी जगत को सौरमंडल के ग्रहों के बारे में पता चला, लेकिन इसके सैकड़ों साल पहले से भारत में नवग्रहों के मंदिर बना दिए गए थे, जहां कई तरह के खगोलीय शोध किए जाते थे। इसमें भी ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत के ऋषि मुनियों ने इन ग्रहों का ज्ञान, किसी टेलिस्कोप से देखकर नहीं, बल्कि योगदृष्टि द्वारा अर्जित किया था, किन्तु इतनी प्राचीन और वैज्ञानिक सभ्यता ने के बाद भी हमारे ही राजनेताओं ने भारत को 'सपेरों का देश' बनाकर रखा।
जिसके चलते भारतीयों में भी हीन भावना पैदा होने लगी और वे अपनी ही संस्कृति को पिछड़ा और अंधविश्वास समझने लगे। आज पुनः वही कोशिशें की जा रहीं हैं, हिंदुस्तान की शिक्षा और चिकित्सा पद्धति तो पहले ही ध्वस्त कर दी गई थी अब देश की एक और पुरातन आजीविका पर हमला किया जा रहा है। हम सभी जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहाँ की लगभग 70 फीसद आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है और खेती तथा गाय-भैंस का पालन करके अपना जीवन यापन करती है, लेकिन अब लगता है यह भी विदेशी कंपनियों को खटकने लगा है। दरअसल, आप सभी ने कभी न कभी डालडा घी या वनस्पति घी के बारे में जरूर सुना होगा, जिसे शुद्ध देशी घी न होने पर इस्तेमाल किया जाता है, या यूँ कहें कि गरीब तबके के लोग शुद्ध घी न खरीद पाने के कारण वनस्पति घी का इस्तेमाल करते थे।
अब यही घी वाली प्रक्रिया 'दूध' पर लागू करने का दबाव डाला जा रहा है। यह मांग की जा रही है जानवरों के संरक्षण को लेकर काम करने वाली वैश्विक संस्था अमेरिकन एनिमल राइट्स ऑर्गनाइजेशन द पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) द्वारा। दरअसल, पेटा इंडिया ने अमूल के प्रबंध निदेशक आर. एस. सोढ़ी को पत्र लिखते हुए कहा था कि अमूल को वीगन मिल्क प्रोडक्ट्स का उत्पादन करने के बारे में विचार करना चाहिए। पेटा ने कहा कि अमूल को तेजी से बढ़ रहे वीगन फूड और मिल्क मार्केट का लाभ मिलना चाहिए और अमूल को वीगन मिल्क की ओर शिफ्ट होना चाहिए। PETA का सीधा कहने का मतलब यह है कि अमूल, गाय-भैंस का दूध न बेचकर, पेड़-पौधों से बनाए हुए दूध की बिक्री करे, इसी को पेटा वेगन मिल्क या शाकाहारी दूध कहता है। दरअसल, PETA का मानना है कि दूध के व्यवसाय में जानवरों के साथ क्रूर व्यवहार किया जाता है, लेकिन शायद PETA नहीं जानता कि भारत में सदियों से पशु पालन होता आया है और यहाँ के किसान पशु-प्रेमी होते हैं, उनपर क्रूरता करने वाले नहीं। यहाँ एक बात और समझ में नहीं आती कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने का आरोप भी हम पर लगता है और गायों के साथ क्रूरता करने के आरोपी भी हम ही हैं ?
क्या होता है शाकाहारी दूध (Vegan Milk) ?
दरअसल वीगन मिल्क पौधों और सोया उत्पादों एवं ड्राई फ्रूट्स से तैयार किया जाने वाला दूध है, जिसे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। यह पशुओं से प्राप्त होने वाले दूध से बिल्कुल अलग होता है। वीगन मिल्क में फैट की मात्रा कम होती है। वीगन मिल्क की विशेषता यह है कि इसे आवश्यकता के हिसाब से ताज़ा बना कर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह दूध सोयाबीन, बादाम और काजू, नारियल, ओट्स आदि से बनाया जाता है। इसके साथ ही वीगन मिल्क मूंगफली और राइस यानि चावल से भी तैयार होता है। किन्तु यहाँ एक सवाल यह उठता है कि क्या डालडा घी या वीगन मिल्क, शुद्ध घी या गाय के दूध से अधिक फायदेमंद है ?
क्या रहा AMUL का जवाब ?
PETA के पत्र का जवाब देते हुए अमूल के प्रबंध निदेशक RS सोढ़ी ने कहा है कि, 'PETA चाहता है कि अमूल 10 करोड़ गरीब किसानों की आजीविका छीन ले? यदि कंपनी दूध का इस्तेमाल करना बंद कर देगी, तो इन 10 करोड़ लोगों को रोजगार कैसे मुहैया कराया जाएगा? अमूल 75 वर्षों में किसानों के साथ मिलकर बनाए अपने तमाम संसाधनों को किसी बड़ी MNC कंपनियों के मोडिफाई किए गए सोया उत्पादों के लिए छोड़ दे? वो भी उन कीमतों पर जिन्हें औसत निम्न वर्ग का परिवार वहन भी नहीं कर सकता है। अमूल के साथ जुड़े किसानों के बच्चों की फीस कौन भरेगा, जिसमें लगभग 70 फीसदी लोग भूमिहीन हैं।'
सोशल मीडिया पर भी यूज़र्स अमूल के इस जवाब की जमकर तारीफ कर रहे हैं और पेटा इंडिया की जमकर खिंचाई कर रहे हैं। हालांकि कुछ लोग वीगन मिल्क का भी समर्थन कर रहे हैं, लेकिन काफी सारे यूज़र्स अमूल (Amul) का समर्थन करते हुए पेटा पर ही सवाल उठा रहे हैं और उसे अन्य जानवरों के साथ होने वाली हिंसा पर भी ध्यान देते की हिदायत दे रहे हैं।
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