नई दिल्ली: बिहार की महागठबंधन सरकार द्वारा कराई जा रही जातिगत जनगणना पर पटना हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे सीएम नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की सरकार को तगड़ा झटका लगा है। बता दें कि बिहार की सत्तारूढ़ पार्टियाँ राजद, JDU और कांग्रेस पूरे देश में जातिगत जनगणना की मांग पूरी ताकत से उठा रही है। बिहार में तो सीएम नितीश कुमार ने इसकी शुरुआत भी कर दी थी। बिहार सरकार ने शिक्षकों को पढ़ाई से हटाकर लोगों की जातियां पता करने में लगा दिया था, मगर अब पटना उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी है।
#WATCH | Bihar: The Patna High Court has put a stay on the Caste-based census in Bihar
— ANI (@ANI) May 4, 2023
Rs 500 crore will be spent on the caste census, which will be a misuse of money. That’s why the court has agreed that this policy is against the constitution, statute & census Act of 1948...:… pic.twitter.com/o27tzTmSg8
इसके साथ ही अब तक की जाति जनगणना के जो आँकड़े इकट्ठे हुए हैं, उन्हें पटना उच्च न्यायालय ने सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। पटना उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस ने आदेश दिया है कि जाति जनगणना को फ़ौरन रोक दिया जाए। न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की कोर्ट ने ये आदेश दिया है। इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में 2 दिन सुनवाई हुई, जिसके बाद अदालत ने ये फैसला लिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 जून, 2022 (सोमवार) तय की गई है।
पटना उच्च न्यायालय ने सवाल दागा है कि क्या जाति जनगणना कराना और आर्थिक सर्वेक्षण कराना एक कानूनी बाध्यता है? ये सवाल भी किया गया है कि प्रदेश सरकार के पास इसका अधिकार है या नहीं। जातीय गणना पर निजता का उल्लंघन होगा या नहीं, इस पर भी बिहार सरकार को कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना होगा। दरअसल, याचिका में आरोप लगाया गया था कि जाति जनगणना करने का बिहार सरकार को कोई अधिकार नहीं है, साथ ही इससे लोगों की निजता एवं गोपनीयता का उल्लंघन हो रहा है।
पटना हाई कोर्ट में दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि लोगों से उनकी जाति, उनके कामकाज और योग्यता के जानकारी माँगना, उनकी निजता का उल्लंघन है। साथ ही कहा गया है कि देश का संविधान, राज्य सरकार को यह काम करने की इजाजत नहीं देता। इसके लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, इसे भी याचिका में जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी बताया गया है। पटना हाई कोर्ट में यह भी दलील दी गई कि केंद्र सरकार पहले ही शीर्ष अदालत को बता चुकी है कि जाति आधारित जनगणना नहीं कराई जाएगी।
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