हमारे पूर्वज जो पत्थरों पर उकेर दिया, कई लोग उसे कागज पर भी नहीं बना पाते!

हमारे पूर्वज जो पत्थरों पर उकेर दिया, कई लोग उसे कागज पर भी नहीं बना पाते!
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बैंगलोर: जो कलाकृतियां हमारे पूर्वजों ने हजारों साल पहले बनाई थी, आज भी उन्हें देखकर दिल और दिमाग रोमांचित हो जाता है! एक अद्भुत और अलौकिक नजारा होयसलेश्वर मंदिर का देखिए । 'होयसलेश्वर मंदिर', जिसे हलेबिदु मंदिर भी कहा जाता है, 12वीं शताब्दी का हिंदू मंदिर है जो 'भगवान शिव' को समर्पित है। यह भारत के कर्नाटक राज्य के एक शहर और होयसला साम्राज्य की पूर्व राजधानी हैलेबिदु में सबसे बड़ा स्मारक है।

बता दें कि, इस मंदिर का निर्माण विष्णुवर्धन के शासनकाल के दौरान किया गया था। कर्नाटक में स्थित इस होयसलेश्वर मंदिर के दीवारों पर हिंदू धर्म से जुड़ी कई देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को भी नक्काशा गया है। होयसलेश्वर मंदिर तालाबों, मंतपों और झीलों से घिरा हुआ है। इसमें बने हुए मंदिर बहुत ही खूबसूरत हैं, इन मंदिरों की वास्तुकला, शिल्पकाल और भव्यता देखते ही बनती है। इसकी स्थापत्य सुंदरता और इसका एतिहासिक अतीत इसे एक महत्वपूर्ण शहर बनाता है।

बता दें कि, इन मंदिरों के ऊपर की जो नक्काशी की गई है, उसमे भारतीय मस्तिष्क और हाथों के साथ 'गणित और इंजीनियरिंग' भी भारतीय ही इस्तेमाल की गई थी। बगैर किसी आधुनिक उपकरण के इस तरह की कलाकृति तैयार करना, आज के वैज्ञानिक युग में भी एक चुनौती है।

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