तुलसी विवाह सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जो दिवाली के पश्चात् कार्तिक माह में मनाया जाता है। इस दिन तुलसी के पौधे की खास पूजा की जाती है तथा उसका विवाह प्रभु श्री विष्णु के प्रतीक शालिग्राम शिला से कराया जाता है। तुलसी विवाह मुख्य रूप से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है। तुलसी को अत्यंत पवित्र माना जाता है तथा घर में तुलसी का पौधा रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। शालिग्राम शिला प्रभु श्री विष्णु का प्रतीक मानी जाती है, इसलिए तुलसी एवं शालिग्राम का विवाह कराने से भक्तों को धार्मिक पुण्य मिलता है। आइए आपको बताते हैं तुलसी विवाह के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
तुलसी विवाह के दिन क्या करें?
तुलसी विवाह से पहले तुलसी के पौधे को अच्छे से धोकर साफ करें। तुलसी के पत्तों को निकालकर पानी से धो लें।
फिर तुलसी को हल्दी, केसर और चंदन से सजाएं।
शालिग्राम शिला को गंगाजल से धोकर साफ करें और तुलसी के पत्तों से सजाएं।
तुलसी विवाह के लिए एक छोटा सा मंडप तैयार करें और उसे फूलों से सजाएं।
पूजा के लिए दीपक, अगरबत्ती, धूपबत्ती, चावल, फूल, फल आदि इकट्ठा कर लें।
विवाह के दौरान मंत्रों का जाप करें। पूजा विधि और कथा पढ़ने के लिए पंडितों को बुलाया जा सकता है।
विवाह के बाद तुलसी का दान शुभ माना जाता है। गरीबों को भोजन या कपड़े का दान करना शुभ होता है।
तुलसी विवाह के दिन क्या न करें?
तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पत्ते का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस दिन मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
केवल शुद्ध सात्विक भोजन करें।
किसी से झगड़ा न करें और बहस करने से बचें।
नकारात्मक विचारों से बचें और पूरी श्रद्धा से पूजा करें।
तुलसी विवाह एक अत्यंत शुभ और पुण्यकारी दिन है, जिसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए।
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