नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट के दिग्गज ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया में चल रही टेस्ट सीरीज के बीच में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेकर सबको चौंका दिया। उनके इस अचानक लिए गए फैसले ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है। अश्विन के संन्यास को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। उनके पिता ने तक कह दिया कि अश्विन का अपमान हो रहा था। अब पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने इस फैसले के पीछे की वजह का खुलासा किया है।
आकाश चोपड़ा का मानना है कि अश्विन लंबे समय से विदेशी दौरों पर लगातार नजरअंदाज किए जाने से निराश थे। उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, "हर खिलाड़ी की जिंदगी में एक वक्त आता है जब वह खुद से सवाल करता है कि क्या मैं इस स्थिति से खुश हूं? क्या मुझे अब भी यही करना चाहिए?" चोपड़ा ने बताया कि अश्विन के मन में यह बात लंबे समय से चल रही थी कि उन्हें विदेशी परिस्थितियों में खेलने का पूरा मौका नहीं मिल रहा है। जब भी विदेश में स्पिनर के चयन की बात आती, अश्विन को अक्सर दरकिनार कर दिया जाता। वह इससे समझौता करके आगे बढ़ते रहे, लेकिन आखिरकार यह स्थिति उनके लिए असहनीय हो गई।
आकाश चोपड़ा ने बताया कि अश्विन को यह स्वीकार करना पड़ा कि विदेशी दौरों पर रविंद्र जडेजा को उनसे ज्यादा तरजीह दी जाती रही। हालांकि उन्होंने इसे लंबे समय तक सहा और खुद को टीम के फैसलों के साथ ढाल लिया। लेकिन जब पर्थ टेस्ट में वॉशिंगटन सुंदर को खेलने का मौका दिया गया और उन्हें बाहर बैठना पड़ा, तो उनके धैर्य का बांध टूट गया।
आकाश चोपड़ा ने बताया कि अश्विन ने पिंक बॉल टेस्ट खेला था, लेकिन जब उन्हें गाबा टेस्ट से बाहर कर दिया गया, तो उन्होंने इस फैसले को अपनी उपेक्षा के तौर पर देखा। उन्होंने कहा, "अश्विन ने पिंक बॉल टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन किया था, फिर भी उन्हें गाबा टेस्ट में टीम में जगह नहीं दी गई। इस फैसले ने उन्हें गहरा झटका दिया।" चोपड़ा के मुताबिक, अश्विन को यह महसूस होने लगा कि टीम मैनेजमेंट उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल करने को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि गाबा टेस्ट में जडेजा के रन बनाने की वजह से अश्विन को मेलबर्न टेस्ट में मौका मिलना मुश्किल हो गया था।
बता दें कि, आर अश्विन ने अपने करियर में भारत के लिए 106 टेस्ट मैच खेले और 537 विकेट झटके। वह अनिल कुंबले (619 विकेट) के बाद भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज हैं। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए यह फैसला और भी चौंकाने वाला था। अश्विन का यह कदम बताता है कि भले ही वह मैदान पर शानदार प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन लगातार नजरअंदाज किए जाने और आत्मसम्मान को ठेस पहुंचने की वजह से उन्होंने यह बड़ा फैसला लिया। उनका यह संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन यह भी दिखाता है कि खिलाड़ियों की मानसिक स्थिति और आत्मसम्मान कितनी अहम भूमिका निभाते हैं।
आकाश चोपड़ा के खुलासे के बाद यह साफ हो गया है कि अश्विन को प्लेइंग इलेवन में बार-बार अनदेखा किया जाना उनकी सबसे बड़ी परेशानी थी। उन्होंने खुद को साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन जब उम्मीदों के बावजूद उन्हें मौके नहीं दिए गए, तो उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहने का मन बना लिया।