लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो और पूर्व सीएम मायावती ने आज सोमवार (26 अगस्त) को 1995 के लखनऊ 'स्टेट गेस्ट हाउस कांड' का जिक्र करते हुए उन पर हुए 'जानलेवा हमले' के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधा और कांग्रेस पर उस समय केंद्र में सत्ता में होने के बावजूद उनकी मदद नहीं करने का आरोप लगाया।
मायावती ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि, "बसपा द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद सपा ने 2 जून 1995 को मुझ पर जानलेवा हमला किया था, फिर कांग्रेस इस पर कभी क्यों नहीं बोलती? उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, उसने भी समय पर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई।'' उन्होंने कहा कि, ''जब कांशीराम जी की हालत गंभीर थी और वे अस्पताल में भर्ती थे, तब भी गृह मंत्री को फटकार लगानी पड़ी थी और विपक्ष ने संसद का घेराव भी किया था, उसके बाद ही कांग्रेस सरकार ने कार्रवाई की।'' मायावती ने आगे दावा किया कि, ''क्योंकि उस वक़्त केन्द्र की कांग्रेस सरकार की नीयत भी खराब हो गई थी, जो किसी अप्रिय घटना के बाद उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करके पर्दे के पीछे से अपनी सरकार चलाना चाहती थी, जिसकी साजिश को बसपा ने नाकाम कर दिया।''
बता दें कि 2 जून 1995 को मुलायम सिंह यादव सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा के बाद, सपा नेता और कार्यकर्ता उस गेस्ट हाउस में पहुंचे, जहां मायावती अपनी पार्टी के नेताओं से मिलने वाली थीं और बसपा कार्यकर्याओं पर उन पर हमला किया। मायावती गेस्ट हाउस में बुरी तरह फंस चुकी थीं, कहा जाता है उस दिन या तो मायावती का बलात्कार हो जाता, या फिर हत्या, उन्हें भाजपा नेताओं ने गेस्ट हाउस से बचाया था। बाद में राज्यपाल ने मुलायम सिंह यादव सरकार को बर्खास्त कर दिया और मायावती को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।
मायावती ने कहा कि भाजपा समेत पूरे विपक्ष ने मानवता के नाम पर सपा के आपराधिक तत्वों से उन्हें बचाने का अपना कर्तव्य निभाया है। "तो कांग्रेस को समय-समय पर इससे परेशानी क्यों होती रहती है? लोगों को इसके बारे में पता होना चाहिए।" मायावती ने कहा, "इसके अलावा, बसपा सालों से जाति जनगणना के लिए पूरा दबाव बना रही है, पहले केंद्र में कांग्रेस पर और अब भाजपा पर।" उन्होंने कहा कि, "लेकिन जाति जनगणना के बाद क्या कांग्रेस अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उचित अधिकार सुनिश्चित कर पाएगी? जो लोग अभी भी SC/ST आरक्षण में वर्गीकरण और क्रीमी लेयर के मुद्दे पर चुप हैं, उन्हें जवाब देना चाहिए।" बता दें कि, 1995 की घटना के कारण सपा और बसपा के बीच कई वर्षों तक संबंध तनावपूर्ण रहे, जिसके बाद दोनों दलों ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए चुनावी गठबंधन किया था।
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