तालिबान के राज में नरक बन जाएगा अफ़ग़ानिस्तान, सबसे ज्यादा महिलाओं पर होगा जुल्म

तालिबान के राज में नरक बन जाएगा अफ़ग़ानिस्तान, सबसे ज्यादा महिलाओं पर होगा जुल्म
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तालिबान, एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है, जिसकी शुरूआत 1994 में दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में हुई थी। तालिबान एक पश्तो शब्द है, जिसका मतलब होता है ज्ञानार्थी (छात्र)। ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा पर यकीन करते हैं। पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को इसकी सदस्यता मिलती है। आज अमेरिका द्वारा अफ़ग़ानिस्तान से अपनी सेना बुलाए जाने के बाद तालिबान के हौसले बुलंद हैं और वो अफगानी सुरक्षाबलों पर ताबड़तोड़ हमले कर रहा है। बीते कुछ महीनों में तालिबान, अफ़ग़ानिस्तान के 7 पायलट को मौत के घाट उतार चुका है। यूनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट बताती है कि 2021 के पहले 3 महीनों में तालिबान की वजह से 229 नागरिकों की मौत हुई है। तालिबान के खौफ का आलम यह है कि अफगानी सेना के 1000 से अधिक जवान अपनी जान बचाकर पड़ोसी देश तजाकिस्तान में भाग गए हैं। 

दरअसल, देखा जाए तो अफ़ग़ानिस्तान की आवाम के लिए बुरे दिन तो अब शुरू होने वाले हैं। क्योंकि अमेरिका, अफ़ग़ानिस्तान से अपनी सेना हटा चुका है और तालिबान की ताकत दिनों दिन बढ़ती जा रही है। हाल ही में तालिबान ने दावा किया है कि उसने देश के 85% हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया है और बाकी के लिए भी उसकी कोशिशें जारी हैं। बता दें कि अभी तक तो अफ़ग़ानिस्तान एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन अगर तालिबान पूरी तरह देश पर कब्ज़ा कर लेता है, तो देश में लोकतंत्र तो क्या मानवाधिकार भी पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा। इसे समझने के लिए हमें तालिबान की विचारधारा को समझना होगा। दरअसल, इससे पहले तालिबान ने साल 1996 से 2001 तक अफ़ग़ानिस्तान पर शासन किया है। इस दौरान अफ़ग़ानिस्तान में शरिया कानून लागू था। जिसके तहत महिलाओं पर कई तरह की कड़ी पाबंदियां लगा दी गईं थी। सजा देने के वीभत्स तरीकों के कारण अफगानी समाज में इसका विरोध होने लगा था। लेकिन अब तालिबान ने पुनः सत्ता हथियाने के लिए जमीनी जंग का रास्ता चुना है और वह इसमें कामयाब भी होता नज़र आ रहा है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि अगर तालिबान वापस सत्ता में आ जाता है, तो तालिबानी कानून के कारण अफ़ग़ानिस्तान की आवाम पर क्या-क्या पाबंदियां हो सकती हैं। 

1- तालिबान के शासन में अफगानी पुरुषों के लिए बढ़ी हुई दाढ़ी और महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य होगा।
2- टीवी, म्यूजिक, सिनेमा पर पाबंदी होगी। 
3- तालिबान ने 1996 में शासन में आने के बाद लिंग के आधार पर कड़े कानून बनाए थे, जिसके अनुसार अफगानी महिला को नौकरी करने की इजाजत नहीं दी जाती थी। 
4- दस उम्र की उम्र के बाद लड़कियों के लिए स्कूल जाने पर मनाही होगी। लड़कियों के लिए सभी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद होंगे।
5- किसी पुरुष रिश्तेदार के बगैर घर से बाहर जाने पर महिला का बहिष्कार कर दिया जाएगा।
6- पुरुष डॉक्टर द्वारा चेकअप कराने पर महिला और लड़की का बहिष्कार कर दिया जाएगा। इसके साथ महिलाओं पर नर्स और डॉक्टर्स बनने पर पाबंदी थी।
7- तालिबान के राज में प्रेमी के साथ भागने वाली महिलाओं को भीड़ में पत्थरों से मारकर मौत के घाट उतार दिया जाता था। 
8- घर में गर्ल्स स्कूल चलाने वाली महिलाओं को उनके पति, बच्चों और छात्रों के सामने गोली मार दी जाती थी। 
9- गलती से बुर्का से पैर दिख जाने पर कई महिलाओं को बुरी तरह पीटा जाता था। 
10- तालिबान के शासन में इतनी पाबंदियों के चलते महिलाओं में डिप्रेशन बढ़ गया था, जिसके कारण आत्महत्या के मामले तेज़ी से बढे थे। 

हालांकि, इतना सब होने के बाद भी दुनियाभर में मानवाधिकार और महिला सुरक्षा के लिए काम करने वाले संगठन और समाजसेवी मौन धारण किए हुए बैठे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी कुछ दिन पहले चेतावनी दी थी कि तालिबान आने वाले दिनों में कई राज्‍यों पर कब्‍जा कर सकता है, लेकिन उसे कैसे रोका जाए, या इस चरमपंथी संगठन के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएं ? इस मुद्दे पर समाधान के रूप में केवल शांति वार्ता की ही बात कही जाती है। 

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