फ्रेंडशिप डे, यानि मित्रता दिवस, यह दिवस खासतौर पर मित्रों के लिए मनाया जाता है. मित्र से हमारा मतलब सिर्फ अपने दोस्त ही नहीं होते, बल्कि माता-पिता भी हो सकते हैं, भाई-बहिन हो सकते हैं. प्रकृति हो सकती है, कुछ लोग हैं जो पेड़-पौद्यों और प्रकृति से इतने करीब से जुड़े होते हैं, कि उन्हें पेड़-पौधों से बात करते देखा जा सकता है. कुछ लोग हैं जो अपने पालतू पशुओं को अपना मित्र मानते हैं. कहा भी गया है कि "कुत्ता मनुष्य का सच्चा मित्र होता है."
कुत्ते की वफ़ादारी को देखते हुए ही उसे सबसे सच्चे मित्र की संज्ञा दी गई है. क्योंकि एक सच्चे दोस्त के अंदर सबसे बड़ा गुण उसकी वफ़ादारी ही होती है. लेकिन आज कल के आधुनिक दौर में हम लोग मित्रता के असली मतलब को भूलते जा रहे हैं. प्रकृति और पशुओं से तो दूर, हम तो मनुष्य से भी सच्ची दोस्ती नहीं कर पाते.
Friendship Day : अब और गहरी होगी आपकी फ्रेंडशिप
क्योंकि आजकल हर चीज़, हर सम्बन्ध का स्थान व्यापार ने ले लिया है, एक हाथ दिया जाता है स्वार्थ और दूसरे हाथ दिया जाता है स्वार्थ. अब चूँकि स्वार्थ और दोस्ती में आग और पानी की तरह का सम्बन्ध है. इसलिए जहाँ स्वार्थ है वहां मित्रता हो ही नहीं सकती और जहाँ सच्ची मित्रता है वहां स्वार्थ नहीं हो सकता. हमारे सामने निस्वार्थ मित्रता के कई उदहारण हैं जिनसे हम सीख ले सकते हैं, जैसे कृष्ण-सुदामा की दोस्ती, जैसे अश्फाखउल्लाह खान और रामप्रसाद बिस्मिल की दोस्ती. इसलिए अब फैसला आपको लेना है कि आपको मित्र चाहिए या नफा-नुक्सान तौलने वाला तराज़ू.
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