दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरु, पथ प्रदर्शक और सनातन धर्म के प्रखर प्रचारक स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उन्हें युवाओं का प्रेरणास्रोत माना जाता है, इसलिए प्रतिवर्ष उनके जन्मदिवस को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। अमेरिका में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वामी विवेकानंद द्वारा वर्षों पूर्व कही गईं बातें ऐसी हैं कि निराश व्यक्ति भी यदि उसे पढ़े तो उसे जीवन जीने का एक नया उद्देश्य मिल सकता है।
एक दफा जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका गए हुए थे, तब एक महिला ने उनसे शादी करने की इच्छा जाहिर की। जब स्वामी विवेकानंद ने उस महिला से ये पुछा कि आपकी ये मंशा किसलिए है। तब उस महिला का जवाब था कि वो स्वामी जी की बुद्धि से बहुत मोहित है।और उसे एक ऐसे ही बुद्धिमान बच्चे की कामना है। इसीलिए उसने स्वामी से पुछा था कि क्या वो उससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं?
इस पर स्वामी जी ने महिला से कहा कि चूँकि वो केवल उनकी बुद्धि पर मोहित हैं इसलिए कोई परेशानी नहीं है। स्वामी विवेकानंद ने कहा कि “मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ। शादी करना और इस विश्व में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो बुद्धिमान है या नहीं, इसमें काफी समय लगेगा। इसके साथ ही ऐसा हो इसकी कोई गारंटी भी नहीं है। इसकी जगह, आपकी इच्छा को तत्काल पूरा करने हेतु मैं आपको एक सुझाव दे सकता हूँ। आप मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें। इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी और इस प्रकार मेरे जैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी मंशा भी पूर्ण हो जाएगी।“
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