हर बार जब आप भारत या किसी अन्य देश के बारे में सोचते हैं, तो कई सवाल मन में उठते हैं: यह देश कैसे बना? इतने सारे देश कहां से आए? उनकी खोज किसने की? इन सवालों का उत्तर इतिहास के पन्नों में छिपा है। इस लेख में हम मानव जाति की खोजी प्रवृत्ति तथा प्रमुख देशों की खोज की कहानी को विस्तार से बताएंगे।
कैसे हुई शुरुआत?
मानव सभ्यता की शुरुआत से ही जिज्ञासा उसका मूल स्वभाव रही है। प्राचीन काल में मनुष्य ने अपनी जरूरतों के लिए नई-नई जगहों की खोज शुरू की। शुरुआती दौर में भोजन और रहने के लिए सुरक्षित स्थान ढूंढना उसकी प्राथमिकता थी। जैसे-जैसे जीवन सरल होता गया, इंसानों की रुचि अपने आसपास की दुनिया को समझने में बढ़ने लगी। इसी जिज्ञासा ने मानव को समुद्र पार के अज्ञात स्थानों की तरफ आकर्षित किया। यह सिलसिला केवल भौतिक खोज तक सीमित नहीं रहा; प्राचीन विद्वानों ने खगोल विज्ञान, भूगोल और विज्ञान के क्षेत्र में भी गहन अनुसंधान किए।
पहले भी थे देश
विश्व के नक्शे पर आने से पहले भी सभी देशों का अस्तित्व था, किन्तु तब उन्हें एक-दूसरे के बारे में जानकारी नहीं थी। साहसी नाविकों ने इन देशों की खोज कर उन्हें वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
भारत की खोज
भारत का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। हालांकि, दुनिया को भारत के बारे में जानकारी वर्ष 1498 में मिली, जब पुर्तगाल के नाविक वास्को-डि-गामा कालीकट (कोझिकोड) के बंदरगाह पर पहुंचे। 20 मई 1498 को वास्को-डि-गामा ने समुद्री यात्रा के माध्यम से भारत को देखा तथा दुनिया के सामने उसका परिचय कराया। इसीलिए यह कहा जाता है कि भारत की खोज वास्को-डि-गामा ने की।
नॉर्थ केप की खोज:
दुनिया में किसी क्षेत्र को खोजने की शुरुआत वर्ष 870 ई. में हुई, जब नॉर्वे के नाविक ओट्टार ने नॉर्थ केप की खोज की। यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसने पहली बार किसी देश को वैश्विक पहचान दी। तत्पश्चात, अन्य साहसी नाविकों ने प्रेरणा लेकर नई जगहों की खोज का सिलसिला शुरू किया।
विश्व मानचित्र पर अन्य देशों की खोज
870 ई. में ओट्टार की खोज के पश्चात् अन्य नाविकों ने प्रेरित होकर समुद्री यात्राओं के जरिए नए देशों की खोज शुरू की।
मार्कोपोलो ने 1272 में चीन की खोज की।
क्रिस्टोफर कोलंबस ने 1492 में अमेरिका की खोज की, जो आज दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है।
सेंट फ्रांसिस जेवियर ने 1549 में जापान और हरनेंडो-डि-सोटो ने मिसिसिपी नदी की खोज की।
तस्मान ने 1642 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया को खोजा।
हासेटन नीबुर ने 1762 में अरब, और हाइनरिच बार्थ ने 1855 में सूडान की खोज की।
प्रझेवाल्सकी ने 1873 में मंगोलिया का पता लगाया।
खोज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत
नाविकों एवं खोजकर्ताओं के साहस ने न केवल भौगोलिक सीमाओं को बढ़ाया, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का काम किया।
व्यापार: देशों की खोज के पश्चात् व्यापारिक मार्गों का विकास हुआ, जिसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार दिया।
संस्कृति का आदान-प्रदान: अलग-अलग संस्कृतियों के मिलने से नई परंपराओं और विचारों का जन्म हुआ।
विज्ञान और भूगोल: खोजकर्ताओं के प्रयासों से नई-नई जगहों की जानकारी सामने आई, जिसने विज्ञान और भूगोल को समृद्ध किया।
मानव जाति की खोजी प्रवृत्ति ने दुनिया को एकजुट किया बल्कि उसे नई दिशा दी। इन खोजों ने सिर्फ देशों को नहीं, बल्कि मानव सभ्यता को भी एक नया दृष्टिकोण दिया।
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