नई दिल्ली: रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में पद पर रहते हुए मिलने वाले वेतन के बारे में बात की। राजन ने कहा कि RBI गवर्नर के कार्यालय का नेतृत्व करने के लिए उन्हें वेतन के रूप में प्रति वर्ष केवल 4 लाख रुपये का भुगतान किया जाता था। यूट्यूबर राज शमानी के साथ 'फिगरिंग आउट' पॉडकास्ट पर एक साक्षात्कार के दौरान, रघुराम राजन ने खुलासा किया कि RBI गवर्नर के रूप में उनका वार्षिक वेतन 4 लाख रुपये था। राजन ने कहा कि, 'मुझे वर्तमान वेतन के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन मेरे कार्यकाल के दौरान यह 4 लाख रुपये प्रति वर्ष था। महत्वपूर्ण लाभ आवास है - मुंबई में मालाबार हिल पर धीरूभाई अंबानी के निवास से कुछ ब्लॉक दूर स्थित एक विशाल निवास।' जबकि राजन ने दावा किया था कि RBI गवर्नर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उनका वार्षिक वेतन 4 लाख रुपये था, मीडिया में कई रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि पूर्व RBI गवर्नर ने अपने वार्षिक पारिश्रमिक के बारे में लापरवाही से झूठ बोला होगा।
Is Raghuram Rajan lying randomly?
— Abhishek (@AbhishBanerj) December 26, 2023
He says his RBI gov salary was just 4 lakh per year
Fact:
- Salary was 20 lakh per yr
- RBI paid 71 lakh to move his household goods
- RBI gifted him 4 paintings claimed to be just Rs 10,000 each but such paintings often sell for 1 lakh each pic.twitter.com/4C8tE3irIg
जून 2020 में प्रकाशित 'RBI ने रघुराम राजन की मेजबानी में कोई खर्च नहीं किया' नामक लेख में कहा गया है कि पूर्व गवर्नर, जिन्होंने अगस्त 2013 से सितंबर 2016 तक कार्यालय में कार्य किया, ने पूरे कार्यकाल के लिए लगभग 61.2 लाख रुपये कमाए, जो 1.69 लाख रुपये प्रति माह होता है। लेख में एक RTI जवाब का हवाला दिया गया है कि RBI ने उनके पूरे कार्यकाल के दौरान उन्हें दिए गए कुल वेतन की तुलना में उनके सामान को मुंबई से शिकागो तक उनके घर वापस ले जाने पर अधिक खर्च किया। RBI ने कथित तौर पर उनके घरेलू सामान के परिवहन के लिए 71 लाख रुपये का भुगतान किया, जो पूरे तीन वर्षों के वेतन से अधिक था। कथित तौर पर, जब रघुराम राजन ने सितंबर 2016 में कार्यालय छोड़ा, तो उनका वेतन प्रति माह 2.09 लाख रुपये के करीब था, इस हिसाब से प्रति वर्ष 25 लाख रुपये होता है। जुलाई 2022 में प्रकाशित एक अन्य लेख में, मौजूदा RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का वर्तमान वेतन 2.5 लाख रुपये प्रति माह या 30 लाख रुपये प्रति वर्ष था। RBI गवर्नर के वेतन में प्रगति उस समय के पारिश्रमिक के अनुरूप है, जब राजन ने 2016 में कार्यालय छोड़ा था।
गौरतलब है कि रघुराम राजन अक्सर अपनी विवादित टिप्पणियों और बयानों से सुर्खियों में रहते हैं। हाल ही में, 12 दिसंबर को द रेड माइक द्वारा प्रकाशित एक साक्षात्कार में, RBI के पूर्व गवर्नर डॉ रघुराम राजन ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के पास से बरामद बेहिसाब नकदी पर एक विचित्र "कारण" बताया था। डॉ राजन ने दावा किया था कि विपक्षी दल अवैध धन का उपयोग करने के लिए "मजबूर" हैं, क्योंकि चुनावी बांड सत्तारूढ़ दल के पक्ष में एक असमान खेल का मैदान प्रदान करते हैं। संकेत उपाध्याय ने अपने सवाल में पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग द्वारा आइडिया एक्सचेंज में दिए गए बयान का हवाला देते हुए डॉ राजन से चुनावी बांड पर उनके विचार पूछे थे। सुभाष गर्ग ने विस्तार से बताया था कि चुनावी बांड क्यों लाए गए और उन्हें सिस्टम से हटाने के क्या दुष्परिणाम होंगे। संकेत ने डॉ. राजन से उस बयान पर उनके विचार पूछे जहां गर्ग ने कहा था कि यदि चुनावी बांड हटा दिए जाते हैं, तो राजनीतिक प्रक्रिया में हर साल नकदी सड़कों पर आ जाएगी।
इस पर डॉ राजन ने कहा था कि विपक्षी दलों को भी चुनाव लड़ना होता है। सत्ताधारी दलों को तो चुनावी बांड के जरिए फंड मिल जाता है, लेकिन विपक्ष का क्या ? डॉ राजन ने दावा किया था कि विपक्षी पार्टियां, अवैध धन का उपयोग करने के लिए "मजबूर" हैं, क्योंकि चुनावी बांड सत्तारूढ़ दल के पक्ष में एक असमान खेल का मैदान प्रदान करते हैं। राजन ने आगे दावा किया कि यही वजह है कि विपक्षी दलों को चुनावी बांड के बजाय नकदी का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा, "चुनाव पैसे पर लड़े जाते हैं।" यानी राजन ये कहना चाह रहे थे कि, धीरज साहू के घर मिले 350 करोड़ रुपए नकद का इस्तेमाल चुनावों में किया जा सकता था, क्योंकि विपक्ष ऐसा करने के ;लिए मजबूर है।
दरअसल, रघुराम राजन कांग्रेस के करीबी माने जाते हैं और भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ अर्थव्यवस्था पर चर्चा करते हुए भी नज़र आए थे। उन्होंने राहुल के सामने भविष्यवाणी की थी कि यदि भारतीय इकॉनमी 5 फीसद की दर से भी चलती है, तो भी बहुत बड़ी बात होगी। हालाँकि, राजन की भविष्यवाणी फेल हो गई और भारत का वृद्धि दर 7 फीसद से ऊपर है। अब धीरज साहू पर उन्होंने कह दिया है कि, विपक्षी दल अवैध धन पर चुनाव लड़ने के लिए मजबूर है। जबकि, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने स्पष्ट रूप से कहा है कि साहू से जुड़े परिसरों से बरामद धन से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। जबकि कांग्रेस पार्टी ने खुद को इस विवाद से दूर रखा, डॉ राजन ने यह बताने में अपना दिमाग लगा दिया कि साहू से जुड़े परिसरों में इतनी नकदी क्यों जमा की गई थी।
बता दें कि, अर्थव्यवस्था पर पिछले साल कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए रघुराम राजन UPA-2 के बचाव में सामने आए थे और दावा किया था कि 2009-2014 के दौरान देश ने ज्यादा प्रगति नहीं की, क्योंकि UPA-2 बहुमत में नहीं था। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) UPA-2 के दौरान पेश किया गया था, लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका। UPA-2 बहुमत में नहीं थी, इसलिए इस पर कानून नहीं बन सका। बता दें कि उस समय भाजपा विपक्ष में थी। राजन ने एक तरह से UPA-2 के दौरान 'नीतिगत पंगुता' के लिए विपक्ष भाजपा को जिम्मेदार ठहरा दिया। राजन ने कहा कि, ''संसद को चलने नहीं दिया गया। आप केवल उंगली उठाकर यह नहीं कह सकते कि कुछ नहीं हुआ। यह आंशिक पक्षाघात था; वह भी विपक्ष के नेतृत्व वाला था।''
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