सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ पूजा का आरम्भ नहाए खाय से होता है तथा अगले दिन खरना मनाया जाता है। छठ पूजा का त्योहार बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित देश कई भागों में धूमधाम के साथ मनाते हैं। मान्यता है कि छठ पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली का आगमन होता है।
द्रौपदी भी करती थीं छठ पूजा:
छठ व्रत को सबसे मुश्किल व्रतों में से एक माना गया है। महाभारत काल में द्रौपदी ने भी छठ पूजा की थी। खरना के दिन शाम में पूजा करने के पश्चात् व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं तथा फिर निरंतर 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं।
छठ पूजा 2023 की प्रमुख तिथियां:
17 नवंबर को नहाय खाए किया जाएगा। 18 नवंबर को खरना मनाया जाएगा। 19 नवंबर को छठ पूजा की जाएगी। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा तथा इसी के साथ छठ पूजा का समापन व व्रत पारण किया जाएगा।
छठ पूजा 2023 कब है:
षष्ठी तिथि 18 नवंबर को प्रातः 09 बजकर 18 मिनट पर प्रारंभ होगी तथा 19 नवंबर को प्रातः 07 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान्य होने की वजह से छठ पूजा 19 नवंबर को की जाएगी।
19 नवंबर को सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ समय:
सूर्योदय समय (19 नवंबर को) छठ पूजा के दिन- 06:46 ए एम
सूर्यास्त समय (20 नवंबर को) छठ पूजा के दिन- 05:26 पी एम
नहाए खाय- छठ पूजा का आरंभ नहाए-खाय से होता है।
खरना- खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। खरना वाले दिन व्रत शाम के वक़्त से शुरू हो जाता है। रात में खीर खाकर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है। खरना के दिन ही छठ पूजा का प्रसाद भी बनता है।
छठ पूजा- खरना के अगले दिन छठ मैया तथा सूर्य देव की पूजा की जाती है। छठ पूजा के दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजा समापन- छठ पूजा के अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसी के साथ 36 घंटे का कठिन व्रत संपन्न होता है।
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