काल भैरव (Kaal Bhairav) भगवान शिव (Lord Shiva) का रुद्र रूप माना जाता है। इस रूप की पूजा हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी (Krishna Paksha Ashtami) को करते हैं। आप सभी को बता दें कि शिव भगवान के इस रुद्र रूप की पूजा-अर्चना का एक खास महत्व होता है। जी दरअसल शिव के भक्त कालाष्टमी की विशेष रूप से पूजा करते हैं। वहीं हिन्दू धर्म की मान्यताओं को देखे तो हर एक हिंदी माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी या भैरवाष्टमी के नाम से जाना जाता है। आप सभी को बता दें कि कालाष्टमी या भैरवाष्टमी के दिन भक्त अलग अलग तरीकों से विशेष रूप से काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजन पूरी श्रद्धा से करते हैं। इस बार पौष माह की कालाष्टमी 27 दिसंबर को है, और इस दिन सोमवार पड़ रहा है। अब हम आपको बताते हैं कैसे करें कालाष्टमी पर पूजन।
कालाष्टमी की पूजन विधि- कहा जाता है जो भक्त काल भैरव का पूजन करते हैं, उनको काल यानि मृत्यु का भय नहीं रहता है। ऐसे में सभी प्रकार के यंत्र, तंत्र, मंत्र का निष्प्रभावी हो जाते है। केवल यही नहीं बल्कि इनके पूजन मात्र से भूत-प्रेत बाधा से भी मुक्ति मिलती है। इसे देखते हुए कालाष्टमी के दिन पूजा करने के लिए सुबह स्नानादि कर व्रत का संकल्प लें और दिन भर पूरा दिन केवल फलाहार व्रत करें और फिर प्रदोष काल में प्रभु की पूजन करें।
इस दौरान पूजन के लिए मंदिर में या किसी साफ स्थान पर कालभैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करनी चाहिए। अब मूर्ति स्थापिच करने के बाद चारों तरफ गंगाजल छिड़क कर, उन्हें फूल अर्पित करना चाहिए। उसके बाद धूप, दीप से पूजन कर नारियल, इमरती, पान, मदिरा का भोग लगाएं। अब इसके बाद कालभैरव के समक्ष चौमुखी दीपक जला कर भैरव चालीसा और भैरव मंत्रों का पाठ करें। वहीं सबसे अंत में आरती करें और फिर मनोकामना को पूरा करने वाले काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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