कब से शुरू हो रहा महालक्ष्मी व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

कब से शुरू हो रहा महालक्ष्मी व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजाविधि
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धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी के व्रत और पूजा का विशेष महत्व है। इस व्रत को विशेष रूप से भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक 16 दिनों तक किया जाता है। इस अवधि में मां लक्ष्मी की पूजा और आराधना की जाती है, जिससे आर्थिक समस्याओं से मुक्ति और वैवाहिक जीवन में खुशहाली की प्राप्ति होती है।

महालक्ष्मी व्रत की तिथि:
2024 में महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत 11 सितंबर को होगी। भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 10 सितंबर की रात 11:11 बजे से होगा और यह तिथि 11 सितंबर 2024 को रात 11:46 बजे समाप्त होगी। इस दिन राधाअष्टमी का पर्व भी मनाया जाएगा। इस साल महालक्ष्मी व्रत आयुष्मान योग और प्रीति योग के संयोग में होगा, और व्रत 24 सितंबर 2024 को पूर्ण होगा।

पूजा विधि:
प्रात:काल उठें: व्रत के दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हों। स्वच्छ वस्त्र पहनें ताकि पूजा में पवित्रता बनी रहे।

मंदिर की सफाई: घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। यह सुनिश्चित करें कि पूजा स्थल साफ और व्यवस्थित हो।

पूजा सामग्री एकत्रित करें: एक साफ थाली में पूजा की सभी आवश्यक सामग्री एकत्रित करें, जैसे कि चुनरी, नारियल, चंदन, फूल, अक्षत, फल आदि।

चौकी पर लाल कपड़ा: एक छोटी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। लाल रंग मां लक्ष्मी के सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है।

प्रतिमा की स्थापना: चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। यह प्रतिमा पूजा के केंद्र में होगी, इसलिए इसे अच्छे से सजाएं।

पूजा सामग्री अर्पित करें: मां लक्ष्मी को चुनरी, नारियल, चंदन, फूल, अक्षत, फल समेत सभी पूजा-सामग्री अर्पित करें। यह सामग्री मां लक्ष्मी के प्रति आपकी श्रद्धा और समर्पण को दर्शाती है।

दीपक प्रज्वलित करें: मां लक्ष्मी के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। दीपक की ज्योति से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पूजा की पवित्रता बढ़ती है।

कलश स्थापित करें: विधि-विधान से कलश स्थापित करें। कलश को पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है और यह समृद्धि और शुभता का प्रतीक है।

सोलह श्रृंगार अर्पित करें: मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। सोलह श्रृंगार में विभिन्न प्रकार की सामग्री होती है जो मां लक्ष्मी की सुंदरता और शाही रूप को दर्शाती है।

मंत्र जाप: मां लक्ष्मी के बीज मंत्रों का जाप करें। ये मंत्र मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

आरती: मां लक्ष्मी की आरती उतारें और सभी देवी-देवताओं की भी आरती करें। आरती पूजा का एक अभिन्न अंग है और इससे पूजा की सम्पन्नता बढ़ती है।

क्षमा प्रार्थना: पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें। यह आपके शुद्ध मन और ईमानदारी को दर्शाता है।

प्रसाद वितरित करें: पूजा के अंत में परिवार के सदस्यों और पूजा स्थल पर मौजूद सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें। प्रसाद सभी के लिए मां लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक है।

महत्व:
महालक्ष्मी व्रत का महत्व अत्यधिक है। मां लक्ष्मी, धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। इस व्रत को सच्चे मन से करने से भक्तों की आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मां लक्ष्मी अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए जानी जाती हैं। इस व्रत के माध्यम से भक्तों को मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो उनके जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाती है।

महालक्ष्मी व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह श्रद्धा, समर्पण और ईश्वर के प्रति विश्वास का भी प्रतीक है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और पवित्रता के साथ करने से न केवल धन की प्राप्ति होती है, बल्कि आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन भी मिलता है।

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