हर साल दिवाली के सभी त्यौहार धूम धाम से मनाए जाते हैं. ऐसे में इस साल दिवाली 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी लेकिन इससे पहले आने वाली नरक चतुर्दशी को भी लोग धूम-धाम से मनाते हैं जो कल यानी 26 अक्टूबर को है. जी हाँ, दिवाली के आस-पास के सभी त्योहारों में चौदस का पर्व काफी महत्वपूर्ण होता है और दिवाली से एक दिन पहले मनाए जाने वाले इस पर्व को नरक चतुर्दशी या रूप चौदस या काली चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.
ऐसे में हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष को मनाया जाता है और इस बार चौदस और नरक चतुर्दशी का ये त्योहार 26 अक्टूबर को मनाया जाना है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस पर्व को क्यों मनाते हैं. आइए जानते हैं इससे जुडी पौराणिक कथा.
पौराणिक कथा - पौराणिक कथा के अनुसार एक प्रतापी राजा थे. जिनका नाम रन्ति देव था. उन्होंने कभी किसी तरह का पाप नहीं किया था. उनकी आत्मा और उनका दिल एक दम साफ और शुद्ध था. जब उनकी मौत का समय आया तो उन्हें पता चला कि उन्हें नरक में जगह दी गई है. राजा ने जब इसका कारण पूछा तो यम ने कहा कि आपके द्वारा एक बार एक ब्राह्मण भूखा सो गया था. इस पर राजा ने यम से कुछ समय मांगा. यम ने राजा को थोड़ा समय दिया और अपने गुरू से राय लेकर राजा ने हजार ब्राह्मणों को खाना खिलाया. इस प्रक्रिया से सभी ब्राह्मण खुश हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया. इसी के प्रकोप से राजा को मोक्ष की प्राप्ति हुई. बताया जाता है कि भोजन कराने का ये दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस का दिन था. तभी से आज तक नरक निवारण चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है.
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