वर्ष में 24 एकादशी आती हैं तथा प्रत्येक महीने में 2 एकादशी पड़ती हैं. प्रत्येक एकादशी का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इस वर्ष उत्पन्ना एकादशी का व्रत 8 दिसंबर, शुक्रवार को पड़ रही है. इस दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था. इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. एकादशी माता प्रभु श्री विष्णु का ही स्वरूप मानी जाती हैं. इस दिन प्रभु श्री विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. कहते हैं कि मार्गशीर्ष माह की एकादशी प्रभु श्री विष्णु की बेहद प्रिय मानी जाती है.
उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त:-
एकादशी तिथि का आरम्भ 8 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से होगा तथा समापन 9 दिसंबर को प्रातः 6 बजकर 31 मिनट पर होगा. उदयातिथि के मुताबिक, उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर को ही मनाई जाएगी. उत्पन्ना एकादशी का पारण 9 दिसंबर को दोपहर में 1 बजकर 16 मिनट से लेकर 3 बजकर 20 मिनट पर होगा.
उत्पन्ना एकादशी पूजन विधि:-
इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. तत्पश्चात, घर के मंदिर की सफाई करने के बाद दीप जलाएं. प्रभु श्री विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें और फिर उन्हें नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, पंचामृत, अक्षत, चंदन और मिष्ठान अर्पित करें. तत्पश्चात, भगवान की आरती करें और भोग लगाएं. इस बात का खास ध्यान रखें कि प्रभु श्री विष्णु को केवल सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. प्रभु श्री विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के प्रभु श्री विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं. इस पावन दिन प्रभु श्री विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें. इस दिन भगवान का ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें और संभव हो तो व्रत भी रखें.
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