16 या 17 सितंबर कब है विश्वकर्मा पूजा? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

16 या 17 सितंबर कब है विश्वकर्मा पूजा? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
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विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है, लेकिन इस साल 2024 में कन्या संक्रांति के कारण पूजा की तारीख को लेकर लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। विश्वकर्मा पूजा का सीधा संबंध कन्या संक्रांति से होता है, और इस बार कन्या संक्रांति 16 सितंबर की शाम को हो रही है। ऐसे में लोग यह जानना चाहते हैं कि पूजा 16 सितंबर को होगी या 17 सितंबर को। आइए, हम विस्तार से बताते हैं कि इस साल विश्वकर्मा पूजा कब मनाई जाएगी, पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन भद्रा काल का क्या प्रभाव रहेगा। साथ ही, पूजा के महत्व और इसकी धार्मिक मान्यता पर भी चर्चा करेंगे।

विश्वकर्मा पूजा 2024 की तारीख
कन्या संक्रांति 16 सितंबर की शाम से शुरू हो रही है, जब सूर्य शाम 7:53 बजे कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। यह समय कन्या संक्रांति कहलाता है। लेकिन, विश्वकर्मा पूजा के लिए उदया तिथि का पालन किया जाता है, इसलिए पूजा 16 सितंबर की शाम को नहीं होगी। इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी।

विश्वकर्मा पूजा और भद्रा काल
17 सितंबर को भद्रा काल का प्रभाव रहेगा, जो सुबह 11:44 बजे से शुरू होकर रात 9:55 बजे तक चलेगा। भद्रा का वास पृथ्वी पर रहेगा, जिसे अशुभ माना जाता है। इस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। यदि आप विश्वकर्मा पूजा कर रहे हैं, तो इसे भद्रा काल शुरू होने से पहले ही पूरा कर लें। इस दिन दोपहर 3:19 बजे से शाम 4:51 बजे तक पूजा का उचित समय माना गया है।

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 2024
इस साल विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह का बताया गया है। चूंकि दोपहर में भद्रा काल शुरू हो जाएगा, इसलिए आप पूजा सुबह 06:07 बजे से 11:44 बजे के बीच कर सकते हैं।

विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
विश्वकर्मा पूजा का हिन्दू धर्म में बहुत विशेष स्थान है। यह दिन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें देवताओं का वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है। वे सभी प्रकार के निर्माण कार्यों, मशीनों और उपकरणों के संरक्षक हैं। यह माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से व्यापार में समृद्धि और उन्नति होती है। इस दिन लोग अपनी कार्यशाला, मशीनरी, औजार, वाहन और दुकान की पूजा करते हैं, ताकि पूरे साल उनका कार्य सफलतापूर्वक चले।

व्यापारी और कारीगरों के लिए विशेष दिन:
विश्वकर्मा पूजा का सबसे बड़ा महत्व उन लोगों के लिए होता है जो कारीगर, इंजीनियर, तकनीशियन, या निर्माण कार्यों से जुड़े होते हैं। वे इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके अपने औजारों और मशीनों का पूजन करते हैं, ताकि उन्हें उनके काम में सफलता मिले और किसी प्रकार की रुकावट न आए। यह दिन खासकर उद्योगों, फैक्ट्रियों और कारखानों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहां मजदूर और इंजीनियर मिलकर अपनी मशीनों और उपकरणों की पूजा करते हैं।

पूजा की प्रक्रिया:
विश्वकर्मा पूजा के दौरान पूजा की प्रक्रिया सरल लेकिन महत्वपूर्ण होती है। पूजा की तैयारी में पहले साफ-सफाई की जाती है और फिर मशीनों और औजारों को फूलों, नारियल और रोली से सजाया जाता है। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर की पूजा की जाती है। पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है, और यह माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा से पूरे साल व्यापार में सफलता और समृद्धि आती है।

भविष्य के लिए आशीर्वाद
विश्वकर्मा पूजा को शुभ मानकर लोग अपने उपकरणों और व्यापार में बरकत की कामना करते हैं। यह दिन न केवल कर्म और कार्यकुशलता का प्रतीक है, बल्कि यह इस बात का भी प्रतीक है कि मेहनत और कौशल से सबकुछ संभव है। भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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