इस बारें में तो हर कोई जानता है कि FIFA वर्ल्ड कप का आयोजन वर्ष 1930 को हुआ था, तब से ही इस वर्ल्ड कप का आयोजन हर 4 वर्ष में एक बार किया जाता है, इतना ही नहीं FIFA वर्ल्ड कप के जुड़ी हुई कई दिलचस्प कहानियां है, लेकिन क्या आप जानते है कि FIFA वर्ल्ड कप की शुरुआत के कुछ समय बाद ही विनर को दी जाने वाली शानदार ट्रॉफी चोरी हो गई थी नहीं ना, तो आज हम आपको इस लेख में विस्तार से बताने जा रहे है.
इंग्लैंड में हुई चोरी: जूल्स रिमेट ट्रॉफी को वर्ल्ड वॉर में तो बचा लिया गया था, लेकिन इंग्लैंड में 1966 के वर्ल्ड कप से पहले चोरी हो जाने के पश्चात यह गायब हो गई। बता दें कि पहली बार टूर्नामेंट फुटबॉल के आध्यात्मिक घरेलू मैदान में आयोजित किया गया था। वर्ल्ड कप के शुरू होने के 4 माह पूर्व जूल्स रिमेट ट्रॉफी को खेल के भाग के रूप में वेस्टमिंस्टर के मेथोडिस्ट सेंट्रल हॉल में स्टैम्प्स स्टैनली गिबन्स स्टैम्पेक्स दुर्लभ स्टैम्प एग्जीबिशन में प्रदर्शित भी किया जा रहा था। इस बात का जिक्र है कि 20 मार्च वर्ष 1966 को ट्रॉफी अपने डिसप्ले कैबिनेट से गायब हुई, जबकि इमारत के दूसरे भाग में उस वर्ष रविवार की चर्च सेवा आयोजित की गई थी। कथित तौर पर चोर ने दुर्लभ टिकटों को हाथ भी नहीं लगाया, इसके मूल्य के अनुमान के मुताबिक उस वक़्त 30 लाख पाउंड से ज्यादा था। वह सिर्फ ट्रॉफी लेकर भाग गए, इसका मूल्य उस वक़्त 30,000 पाउंड था।
वहीं स्कॉटलैंड यार्ड सहित कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने जूल्स रिमेट ट्रॉफी को फिर से हासिल करने के लिए हर मुमकिन प्रयास किया। फुटबॉल एसोसिएशन (FA) और लंदन क्लब चेल्सी FC के चेयरमैन जोई मियर्स को 'जैक्सन' होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति से फिरौती का खत प्राप्त हुआ। जैक्सन ने ट्रॉफी को वापस करने के लिए 15,000 पाउंड की मांग की और सबूत के तौर पर ट्रॉफी के ऊपर से हटाने योग्य भाग को भेजा। ट्रॉफी को वापस करने के स्थान पर चेल्सी के घरेलू स्टेडियम स्टैमफोर्ड ब्रिज के सामने निर्धारित कर दी गई थी। यह पूरा वाक्या किसी एक क्राइम थ्रिलर की तरह ही लग रहा था।
नकली पैसे और कागज के बंडल के माध्यम से जैक्सन को लुभाने के उपरांत एक जासूस ने मिअर्स के अस्सिटेंट के रूप में उस चोरी की हुई ट्रॉफी तक पहुंंचने का प्रयास। लेकिन जैक्सन को एहसास हुआ कि कुछ गलत है और उन्होंने चलती कार से कूदकर भागने का प्रयास भी किया। आखिरकार जैक्सन को एक नाटकीय तलाश के उपरांत हिरासत में ले लिया गया और पता चला कि वह एडवर्ड बेचले था, जो पहले भी चोरी की घटनाओं में शामिल रह चुका एक छोटा चोर था। हालांकि, पूछताछ किए जाने पर बेचले ने इस बात का दावा किया कि उसने ट्रॉफी नहीं चुराई थी और वह सिर्फ एक व्यक्ति के लिए एक बिचौलिए के रूप में काम कर रहा था जिसे उसने 'द पोल' बोला था। बेचले को 2 वर्ष की जेल की सजा भी दी गई। लेकिन पुलिस कभी भी 'द पोल' का पता नहीं लगा सकी। ट्रॉफी का भी पता नहीं चल सका।
पिकल्स नाम के कुत्ते ने ढूंढी ट्रॉफी: खबरों का कहना है कि जूल्स रिमेट ट्रॉफी के लिए हर स्थान पर तलाश की जा रही थी। डेविड कॉर्बेट एक थेम्स लाइटरमैन (बराज ऑपरेटर) दक्षिण-पूर्व लंदन के बेउला हिल शहर में अपने कुत्ते पिकल्स एक काले और सफेद कोली के साथ सैर पर गए हुए थे। ट्रॉफी चोरी के ठीक एक हफ्ते के उपरांत रविवार के दिन, जैसे ही कॉर्बेट एक टेलीफोन बूथ पर एक फोन कॉल करने के लिए रुके, तभी उनके चार वर्ष के कुत्ते ने कॉर्बेट के पड़ोसी की कारों में से एक कार के नीचे अखबारों और तारों से लिपटे एक पैकेज को सूंघा।
कॉर्बेट को शुरू में शक हुआ और उन्होंने सोचा कि यह एक बम भी हो सकता था लेकिन आखिर में उनकी जिज्ञासा ने उन्हें पैकेज खोलने पर मजबूर भी कर डाला। कॉर्बेट ने कई वर्ष के उपरांत गार्जियन को दिए गए अपने रिएक्शन को याद किया और बोला, "मैंने इसे उठाया और पैकेज को खोला और देखा कि एक महिला अपने सिर पर डिश रखे हुए है और उस पर जर्मनी, उरुग्वे, ब्राजील लिखा हुआ है। मैं जल्दी से अपनी पत्नी के पास ही गया हुआ था। वह खेल से नफरत करने वाली पत्नियों में से एक थीं। लेकिन मैंने वर्ल्ड, 'मुझे विश्व कप मिल गया है! मुझे विश्व कप मिल गया है!”
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