लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कानपुर में तैनात ACP मोहसिन खान पर IIT कानपुर की एक हिन्दू छात्रा ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का गंभीर आरोप लगाया है। यह छात्रा IIT कानपुर में क्रिमिनोलॉजी की चौथे सेमेस्टर की शोधार्थी है। छात्रा का आरोप है कि मोहसिन खान ने न केवल उसके साथ धोखा किया, बल्कि उसकी भावनाओं और भरोसे का भी शोषण किया। सवाल यह है कि जब कानून के रखवाले ही ऐसे अपराधों में लिप्त होंगे, तो आम जनता न्याय के लिए किसका सहारा लेगी?
मोहसिन खान, जो 2013 बैच के PPS अधिकारी हैं, की पोस्टिंग दिसंबर 2023 में कानपुर में हुई थी। उसी दौरान IIT कानपुर में एक प्रोग्राम के सिलसिले में उनकी मुलाकात एक हिन्दू छात्रा से हुई। दोनों के बीच फोन नंबरों का आदान-प्रदान हुआ और जून 2024 में उन्होंने छात्रा से संपर्क करना शुरू किया। मोहसिन ने छात्रा से पीएचडी में एडमिशन लेने में मदद मांगी और उसने उनकी मदद की। एडमिशन की प्रक्रिया में छात्रा ने खुद उनकी फीस भी जमा कराई। इसके बाद दोनों के बीच नजदीकियाँ बढ़ने लगीं। मोहसिन ने दावा किया कि वह अविवाहित हैं और छात्रा से प्यार करते हैं। उस समय छात्रा अपने ब्रेकअप के दर्द से गुजर रही थी, जिसके कारण उसने मोहसिन पर भरोसा कर लिया।
कानपुर पुलिस के ACP मोहसिन खान पर #IITK की PHD स्कॉलर से रेप का आरोप। कल्याणपुर थाने में लिखी जा रही FIR, ACP को PHQ लखनऊ से अटैच किया गया। #Kanpur #Rape #UPPolice @NBTLucknow pic.twitter.com/ZzgXpeeXA7
— Praveen Mohta (@MohtaPraveenn) December 12, 2024
छात्रा के मुताबिक, मोहसिन ने IIT के हॉस्टल में उससे शारीरिक संबंध बनाए। बाद में उसे पता चला कि मोहसिन पहले से शादीशुदा हैं और उनकी पत्नी गर्भवती हैं। जब इस बारे में सवाल उठे, तो मोहसिन ने छात्रा को बहलाते हुए कहा कि वह अपनी पत्नी को तलाक दे देंगे, क्योंकि उनके रिश्ते में समस्याएँ हैं। छात्रा को मोहसिन के झूठ का पता तब चला जब 27 नवंबर 2024 को उनकी पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद उसने मामले की गहराई से छानबीन की और उनकी पत्नी से मुलाकात की। इस बातचीत से यह स्पष्ट हुआ कि मोहसिन की शादीशुदा जिंदगी में कोई विवाद नहीं था। इसके उलट, उनकी पत्नी ने छात्रा के साथ सहानुभूति दिखाने के बजाय उसे अपने हाल पर छोड़ने की सलाह दी।
छात्रा ने सबसे पहले यह मामला IIT कानपुर के प्रशासन के सामने उठाया। इसके बाद कानपुर पुलिस को सूचित किया गया। शुरू में इसे आपसी सहमति का मामला बताने की कोशिश हुई, लेकिन छात्रा ने कड़ा रुख अपनाते हुए दुष्कर्म की FIR दर्ज करवाई। कानपुर पुलिस ने इस मामले में SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन किया, जिसमें दो महिला अधिकारी और एक साइबर विशेषज्ञ शामिल हैं। FIR दर्ज होने के बाद मोहसिन खान को कानपुर से हटाकर लखनऊ में DGP मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है।
यह घटना न केवल मोहसिन खान की व्यक्तिगत गलतियों को उजागर करती है, बल्कि यह सवाल उठाती है कि क्या ऐसे अधिकारी अपराधियों के साथ मिलीभगत कर जनता का शोषण नहीं करते होंगे? जब कानून के रक्षक ही इस तरह के अपराधों में शामिल पाए जाते हैं, तो आम जनता न्याय के लिए किसके पास जाए?
इस प्रकरण ने यह साफ कर दिया है कि कानून व्यवस्था में मौजूद ऐसी कमजोरियों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है। ऐसे अधिकारियों को आरोप सिद्ध होने पर न केवल तत्काल सेवा से हटाया जाना चाहिए, बल्कि उनके अपराधों के लिए कठोरतम सजा दी जानी चाहिए। IIT कानपुर ने छात्रा के साथ खड़े होकर एक सही उदाहरण प्रस्तुत किया है, लेकिन यह मामला समाज में उन कमजोरियों को उजागर करता है, जिन्हें दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।