नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) में शेष 14,500 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के बारे में मौजदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में फैसला लेगा। सूत्रों ने इस संबंध में जानकारी दी है। सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया है कि पहली छमाही के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद यह तथ्य सामने आया है कि 12 सरकारी बैंकों में से पंजाब एंड सिंध बैंक को नियामकीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 5,500 करोड़ रुपये की पूंजी की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार ने पिछले महीने इक्विटी शेयरों के तरजीही आवंटन से पंजाब एंड सिंध बैंक में पूंजी जमा करने की स्वीकृति दी है।
वित्त वर्ष 2020-21 की अनुदान की पूरक मांगों की पहली खेप के तहत संसद ने सितंबर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 20,000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इसमें से 5,500 करोड़ रुपये पंजाब एंड सिंध बैंक में जमा करने के बाद 14,500 करोड़ रुपये की रकम बची है। सूत्रों ने बताया कि तीसरी तिमाही के आंकड़ों के बाद प्रदर्शन की समीक्षा से बैंकों को साफ़ तौर पर पता होगा कि कोरोना महामारी के बीच रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुरूप ऋण के एकबारगी पुनर्गठन से उन पर कितना अतिरिक्त भार पड़ा है।
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा उस वक़्त गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) को लेकर भी चीजें साफ हो चुकी होंगी, क्योंकि तबतक संभवत: सुप्रीम कोर्ट ब्याज पर ब्याज मामले को लेकर फैसला सुना देगा। पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी जमा करने का प्रस्ताव किया था। हालांकि, 2020-21 के बजट में सरकार ने ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई थी, क्योंकि उसका मानना था कि बैंक अपनी आवश्यकता के हिसाब से बाजार से पैसा एकत्रित कर लेंगे।
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