कोच्ची: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने के बाद वायनाड सीट पर नज़रें जमी हुईं हैं। निर्वाचन आयोग ने आज जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के द्वारा तारीखों की घोषणा की, तो सभी को इस बात का भी इंतजार था कि वायनाड उपचुनाव के लिए भी तारीख का ऐलान कर दिया जाएगा। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) से इस संबंध में जब सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के पास सदस्यता गवाने की तारीख के बाद 30 दिनों का वक़्त है। वह इसे चुनौती दे सकते हैं। इसके अलावा, निर्वाचन आयोग के पास रिक्त सीटों पर उपचुनाव करवाने के लिए 6 महीने का वक़्त होता है।
CEC ने कहा कि, 'निर्वाचन आयोग राजनीति में नहीं है। 'लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत चुनाव आयोग के पास वायनाड सीट पर उपचुनाव करवाने के लिए 6 माह का वक़्त है। राहुल गांधी को ट्रायल कोर्ट ने फैसले की चुनौती देने के लिए तीस दिन की मोहलत दी है। ऐसे में उपचुनाव के लिए कोई जल्दबाजी नहीं है।' बता दें कि राहुल गांधी बीते 19 वर्षों से लगातार सांसद रहे हैं। उन्होंने अमेठी से अपने सियासी करियर का आगाज़ किया था, जो गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है। इस सीट से संजय गाँधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, सब चुनाव लड़ चुके हैं और जीत भी चुके हैं।
हालाँकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी हार को भांपते हुए राहुल गाँधी ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था, जिसमे अमेठी के अलावा दूसरी सुरक्षित सीट वायनाड थी। इस चुनाव में उन्हें केवल वायनाड में ही जीत मिल पाई थी। अमेठी में उन्हें स्मृति ईरानी के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था। 2019 के ही चुनाव के दौरान उन्होंने मोदी उपनाम को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। सूरत की एक कोर्ट ने उन्हें इसके लिए दोषी करार दिया था और 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद लोकसभा सचिवालय के द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई।
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