नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने कहा है कि वन रैंक, वन पेंशन (OROP) के तहत पूर्व सैनिकों के लिए पेंशन में संशोधन की कवायद जारी है। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने शुक्रवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। भट्ट ने कहा कि OROP के तहत पेंशन का पुनरीक्षण किया जा रहा है और यह एक जुलाई, 2019 से प्रभावी माना जाएगा। उन्होंने ने इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश का भी जिक्र किया।
उल्लेखनीय है कि, केंद्र सरकार ने OROP को लागू करने का ऐलान करते हुए 2015 में नोटिफिकेशन जारी की थी। इसमें हर पांच वर्षों में पेंशन की समीक्षा करने का प्रावधान है। बता दें कि OROP को लागू करने का वादा भाजपा ने चुनाव से पहले किया था। सरकार ने नवंबर 2015 में मौजूदा OROP योजना को अधिसूचित किया था और इसे 1 जुलाई 2014 से लागू कर दिया गया था। हालांकि, 2019 में इसमें संसोधन होना था, जो कि नहीं हुआ। वहीं, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा 2015 में अपनाए गए वन रैंक-वन पेंशन सिद्धांत को बरकरार रखने के उसके फैसले के संबंध में दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका ठुकरा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के इस निर्णय में न तो कोई संवैधानिक कमी है और न ही यह मनमाना है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि पुनर्विचार याचिका में कोई दम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, खुली अदालत में समीक्षा याचिका को सूचीबद्ध करने के अनुरोध को खारिज कर दिया गया है। हमने पुनर्विचार याचिका और इससे संबंधित दस्तावेजों को ध्यान से देखा है। समीक्षा याचिका में कोई दम नहीं दिखा। अदालत ने केंद्र द्वारा अपनाए गए वन रैंक-वन पेंशन सिद्धांत को 16 मार्च को फैसले में बरकरार रखा था।
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