कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश और उस पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के बाद पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव केंद्रीय सुरक्षाबलों की निगरानी में कराए जा रहे हैं. केंद्रीय बलों की 22 कंपनियों के बाद राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) के आवेदन के आधार पर केंद्र सरकार ने 315 और कंपनियां भेजने का ऐलान कर दिया है. बंगाल में जगह-जगह केंद्रीय बलों का रूट मार्च शुरू हो गया है. मगर अभी भी 485 कंपनियां जाना बाकी हैं. ऐसे में SEC ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी पत्र लिखकर बकाया सेंट्रल फोर्स की मांग की है. बता दें कि, आमतौर पर केंद्रीय बलों की एक कंपनी में 80 से 150 जवान शामिल होते हैं. इस तरह अगर 100 का औसत भी माना जाए तो 315 कंपनियां बंगाल में पहुंच चुकी हैं, यानी लगभग 31500 जवान वहां पहुँच चुके हैं और अभी 48500 जवानों की और मांग की जा रही है.
इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने SEC को एक पत्र लिखा है. गृह मंत्रालय ने आयोग को पत्र लिखकर यह जानकारी मांगी है कि पहले से स्वीकृत 315 कंपनी बलों का इस्तेमाल कहां और किस तरह किया गया है? सूत्रों के अनुसार, विगत शुक्रवार से रविवार तक SEC ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के IG और CISF के डिप्टी कमांडेंट के साथ बैठक की थी. मगर 3 दिनों की बैठक के बाद भी आयोग इस पर कोई फैसला नहीं ले सका था कि 315 कंपनी केंद्रीय बल की तैनाती कहां और किस तरह की जायेगी.
इसलिए रविवार तक बंगाल के लिए आवंटित केंद्रीय बल को लेकर अनिश्चितता का माहौल रहा. इस बीच SEC ने गृह मंत्रालय को दोबारा पत्र लिखकर 485 कंपनी फोर्स मांगी है. बदले में गृह मंत्रालय ने आयोग को पत्र लिखा. बता दें कि केंद्रीय बलों द्वारा कराए जा रहे पंचायत चुनावों को लेकर राज्य भर में पहले ही भारी बवाल मच चुका है. ममता सरकार ने केंद्रीय बलों की तैनाती का पुरजोर विरोध किया था और कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनती दे दी थी. हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, राज्य में हिंसा हो रही है, पुलिस से रुक नहीं रही, तो केंद्रीय बलों की तैनाती से आपको क्या समस्या है ? यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का आदेश बरक़रार रखा था और अब केंद्रीय बल बंगाल पहुँच चुके हैं.
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