कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल में रामनवमी समारोह के दौरान हुई हिंसा की कड़ी आलोचना की है । अदालत ने ममता बनर्जी सरकार को चेतावनी दी कि वह उन निर्वाचन क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव की अनुमति नहीं देगी, जहां रामनवमी जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। यह टिप्पणी 17 अप्रैल को मुस्लिम बहुल जिले मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा पर सुनवाई के दौरान की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर लोग शांति और सद्भाव से नहीं रह सकते हैं, तो चुनाव आयोग को उन जिलों में संसदीय चुनाव नहीं कराना चाहिए। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आचार संहिता लागू होने के बावजूद रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसक झड़पें हुईं। उच्च न्यायालय ने झड़पों को रोकने में राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों दोनों की विफलता पर निराशा व्यक्त की। अदालत ने भारत के चुनाव आयोग से सिफारिश की है कि बरहामपुर (मुर्शिदाबाद क्षेत्र) में चुनाव स्थगित कर दिया जाना चाहिए। इसने हिंसा पर एक रिपोर्ट की मांग की और दोनों पक्षों की असहिष्णुता की आलोचना की। हालांकि चुनाव स्थगित करने को लेकर अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। मामले में आगे की सुनवाई शुक्रवार को होनी है।
बता दें कि, मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद में 17 अप्रैल को शक्तिपुर इलाके में रामनवमी जुलूस पर हमला कर दिया गया था। घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिसमें लोग छतों से जुलुस पर पथराव करते नजर आ रहे थे। पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले दागने पड़े, जिससे कई लोग घायल हो गए थे। लेकिन, लाठी चार्ज सड़क पर मौजूद लोगों पर ही हुआ, जिसमे अधिकतर जुलुस के लोग थे, उन पर ही छतों पर से पथराव भी हो रहा था।
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