लखनऊ: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के तीन बांग्लादेशी छात्रों ने भारत, मंदिरों और महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक और अश्लील टिप्पणियाँ की हैं। इन टिप्पणियों को लेकर विश्वविद्यालय के छात्रों ने प्रशासन और प्रॉक्टर से शिकायत दर्ज करवाई है। उन्होंने माँग की है कि इन छात्रों की पढ़ाई तुरंत बंद की जाए, उनका वीजा रद्द किया जाए और उन्हें बांग्लादेश वापस भेजा जाए।
रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी छात्रों की पहचान शम्युल, रिफत रहमान और महमूद हसन अराफात के रूप में हुई है। इन छात्रों ने सोशल मीडिया पर भारत विरोधी और हिंदू धर्म के खिलाफ पोस्ट किए, जिनमें ISKCON के मंदिरों को आतंकवादी संगठन बताना और उन पर प्रतिबंध लगाने की माँग शामिल थी। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय महिलाओं और उत्तर प्रदेश में गाय के गोबर को लेकर भी अश्लील टिप्पणियाँ कीं।
AMU के पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र अखिल कौशल और अन्य छात्रों ने प्रॉक्टर कार्यालय को इन टिप्पणियों के स्क्रीनशॉट के साथ शिकायत दी है। छात्रों ने प्रशासन से माँग की है कि इन बांग्लादेशी छात्रों को तुरंत दंडित किया जाए। डिप्टी प्रॉक्टर नवाज अली जैदी ने कहा कि मामले की जाँच शुरू हो गई है। तीनों छात्रों को नोटिस जारी कर जवाब माँगा गया है। इसके साथ ही, इनकी जानकारी AMU के बांग्लादेश स्थित एडमिशन सेंटर को भी भेजी गई है।
जाँच में पता चला है कि शम्युल बीए की डिग्री पूरी करने के बाद बांग्लादेश लौट गया है। महमूद हसन अराफात ने बीए एलएलबी में प्रवेश लिया था, लेकिन एडमिशन प्रक्रिया पूरी नहीं की और वह भी अब बांग्लादेश में है। वहीं, रिफत रहमान वर्तमान में AMU में बीए की पढ़ाई कर रहा है और उसे नोटिस जारी किया गया है। डिप्टी प्रॉक्टर जैदी ने छात्रों को चेतावनी दी है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए और ऐसी गतिविधियाँ अस्वीकार्य हैं। प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने स्पष्ट किया है कि अगर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो उन्हें विश्वविद्यालय में घुसने नहीं दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि, वर्तमान में AMU में बांग्लादेश के 36 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। प्रशासन इस मामले को लेकर सतर्क है और जाँच पूरी होने के बाद विभागीय कार्रवाई की बात कही है।
यह घटना सिर्फ सोशल मीडिया के दुरुपयोग तक सीमित नहीं है; यह भारत के प्रति नफरत और धार्मिक असहिष्णुता के गहरे मुद्दे को उजागर करती है। ऐसे छात्रों को शिक्षा संस्थानों में जगह देना क्या उचित है? क्या यह मामला सिर्फ अनुशासनात्मक कार्रवाई से हल होगा, या इससे जुड़े गहरे सांस्कृतिक और राजनीतिक पहलुओं पर भी विचार होना चाहिए? छात्रों का कहना है कि यदि विश्वविद्यालय ऐसे व्यवहार पर सख्त कार्रवाई नहीं करता, तो यह अन्य विदेशी छात्रों के लिए भी गलत संदेश देगा।