कौन हैं पसमांदा-बोहरा मुस्लिम? जिन्हे भाजपा में लाना चाहते हैं प्रधानमंत्री मोदी

कौन हैं पसमांदा-बोहरा मुस्लिम? जिन्हे भाजपा में लाना चाहते हैं प्रधानमंत्री मोदी
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नई दिल्ली: भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के आखिरी दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने 2024 लोकसभा चुनाव का एजेंडा साफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव में 400 दिन शेष हैं, ऐसे में सामाजिक समरसता के लिए प्रत्येक गांव में हर एक मतदाता तक पहुंचना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि मुस्लिमों को लेकर गलत बयानबाजी नहीं करें। साथ ही मोदी ने कार्यकर्ताओं से पसमांदा मुसलमानों, बोहरा मुस्लिमों तक पहुंच बनाने के लिए बोला। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई हमें वोट दे या ना दें लेकिन सबसे संपर्क बनाएं। 

बता दें कि नरेंद्र मोदी ने पहली बार पसमांदा मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने पर जोर नहीं दिया बल्कि गुजरात में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए ही उन्होंने मुस्लिम वोटबैंक के बीच अपनी पैठ जमाने का प्रयास आरम्भ कर दिया था। उन्होंने पूरे मुस्लिम समाज को जोड़ने के बजाय पसमांदा एवं बोहरा मुस्लिमों पर फोकस किया था। इस रणनीति में भाजपा को गुजरात में फायदा भी हुआ था तथा मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली आए तो भी मोदी ने मुस्लमानों को इसी तबके को साथ लेने पर जोर देते रहे। दिल्ली से पहले हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के चलते प्रधानमंत्री मोदी ने मुसमलानों के पिछड़े माने जाने वाले पसमांदा मुसलमान को पार्टी से जोड़ने का मंत्र दिया था। वहीं, अब पसमांदा मुस्लिमों के साथ-साथ बोहरा मुसलमानों को भी सम्मिलित किया है तथा उन्हें पार्टी से जोड़ने पर जोर दिया। ऐसे में हम बताते हैं कि बोहरा और पसमांदा मुस्लिम कौन हैं तथा क्यों भाजपा उन्हें अपने करीब लाना चाहती है? 

मुसलमानों में पसमांदा मुस्लिम सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-शैक्षणिक तौर पर बहुत पिछड़े हैं जबकि बोहरा मुस्लिम बहुत समृद्ध संभ्रांत और पढ़ा-लिखे माने जाते हैं। मोदी ने गुजरात में कारोबारियों की सुविधा के हिसाब से नीतियां बनाईं जो बोहरा समुदाय के उनके साथ आने का बड़ा कारण बना था जबकि पसमांदा मुस्लिम को जनकल्याण की योजनाओं का फायदा देकर जोड़ने की कवायद की है। गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए भी बोहरा मुस्लिम मोदी के साथ खड़ा था तथा आज जब मोदी प्रधानमंत्री पद पर हैं तो भी ये तबका उनके करीब है, मगर गुजरात से बाहर के प्रदेशों में बोहरा समाज अभी भी भाजपा के साथ नहीं जुड़ सका है। 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करने की कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने बोहरा समुदाय और पसमांदा मुसमलानों के साथ मेल-मुलाकात करने की बात कही है। 

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