नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से केंद्र सरकार ने जब से अनुच्छेद 370 हटाया है, तब से ही भारत के कुछ सियासी दलों और पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को सही, संविधान सम्मत और देशहित में लिया गया फैसला बताया है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि अनुच्छेद 370 एक अस्थाई प्रावधान था, केंद्र सरकार ने जो भी फैसला लिया था वो संविधान के अनुसार ही लिया और इससे प्रदेश को फायदा हुआ है, ये देशहित में लिया गया फैसला था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद जहाँ भारत में कांग्रेस-PDP और AIMIM ने निराशा व्यक्त की है, वहीं सरहद पार भी तिलमिलाहट देखने को मिली है।
370 पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के प्रस्तावों के खिलाफ निर्णय देकर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है. शहबाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लाखों कश्मीरियों के 'बलिदान' को धोखा दिया है और इस फैसले को न्याय की हत्या को मान्यता देने के रूप में देखा जाएगा. वहीं, पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि, "जम्मू कश्मीर का विवाद एक अंतरराष्ट्रीय विवाद है, जो 70 सालों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के एजेंडे में शामिल है. जम्मू कश्मीर को लेकर अंतिम निर्णय UNSC के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों के आकांक्षाओं के मुताबिक किया जाना है. भारत को कश्मीरी लोगों और पाकिस्तान की इच्छा के खिलाफ इस पर एकतरफा फैसले लेने का कोई हक़ नहीं है.
بھارتی سپریم کورٹ نےاقوام متحدہ کی قراردادوں کے منافی فیصلہ دیکر عالمی قوانین کی خلاف ورزی کی ہے۔ بھارتی سپریم کورٹ نے لاکھوں کشمیریوں کی قربانی سے غداری کی ہے۔ بھارتی سپریم کورٹ کے اس متعصبانہ فیصلہ سے تحریک آزادی کشمیر مزید مضبوط ہوگی ۔ کشمیری جدو جہد میں کوئی کمی نہیں آئے گی۔…
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) December 11, 2023
पाकिस्तान ने अपने बयान में आगे कहा है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर पर भारतीय संविधान की सर्वोच्चता यानी शीर्ष अदालत के फैसले को स्वीकार नहीं करता है. भारतीय संविधान के तहत किसी भी प्रक्रिया की कोई कानूनी अहमियत नहीं है. घरेलू कानूनों और न्यायिक फैसलों के बहाने भारत अंतरराष्ट्रीय दायित्वों से पल्ला नहीं झाड़ सकता. जम्मू कश्मीर को अपने साथ मिलाने की उसकी साजिश निश्चित रूप से नाकाम होगी. वहीं, पाकिस्तान के परम मित्र चीन ने भी उसके सुर में सुर मिलाया है और कहा है कि, कश्मीर मुद्दा एक अंतर्राष्ट्रीय मामला है और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से उचित रूप से संबोधित किया जाना चाहिए।
बता दें कि, आज़ादी और बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया था और कुछ हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया था, लेकिन फिर भारतीय सेना ने उसे मुंहतोड़ जवाब देते हुए खदेड़ना शुरू किया, भारतीय सेना जीत रही थी, उस वक़्त देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संघर्षविराम का ऐलान कर दिया और कश्मीर का कुछ हिस्सा यानी PoK पाकिस्तान के ही पास रह गया। आज भी कहा जाता है कि, यदि वो संघर्षविराम न हुआ होता, तो हमारी सेना बचा हुआ कश्मीर भी वापस ले आती। इसके बाद पंडित नेहरू कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए उसे संयुक्त राष्ट्र (UN) में ले गए, जिसका गठन हुए उस समय 2 साल ही हुए थे। तभी से चीन-पाकिस्तान कश्मीर को विवादित क्षेत्र बताते हुए इसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बताते रहते हैं और कश्मीर में साजिशें करते रहते हैं, अब जब भारत की सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, तो वे बौखलाए हुए हैं।
कांग्रेस-PDP और नेशनल कांफ्रेंस भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज़:-
ऐसा नहीं है कि, केवल चीन-पाकिस्तान जैसे भारत के शत्रु ही सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नराज़ हैं। सबसे बड़ी हैरानी की बात तो ये है कि, भारत पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली सबसे पुरानी राजनितिक पार्टी कांग्रेस ने भी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले पर असहमति जताई है। कांग्रेस ने बाकायदा प्रेस वार्ता करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाखुशी जाहिर की है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम तथा पार्टी के राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कांग्रेस हेडक्वार्टर में 370 हटाने पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति और निराशा जताते हुए कहा कि पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्य समिति (CWC) का संकल्प है कि अनुच्छेद 370 तब तक सम्मान के योग्य है, जब तक कि इसे भारत के संविधान के मुताबिक संशोधित नहीं किया जाता। यानी शायद कांग्रेस ये कहना चाह रही है कि, सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधानिक पीठ ने भी संविधान के मुताबिक फैसला नहीं दिया, जिसमे देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भी शामिल थे ?
#WATCH अनुच्छेद 370 पर SC के फैसले पर कांग्रेस सांसद पी.चिदंबरम ने कहा, "जिस तरीके से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया, उस फैसले से हम सम्मानपूर्वक असहमत हैं। हम CWC के संकल्प को दोहराते हैं कि अनुच्छेद 370 तब तक सम्मान के योग्य है जब तक कि इसे भारत के संविधान के अनुसार सख्ती से… pic.twitter.com/X20GabW5j3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 11, 2023
वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख और जम्मू कश्मीर कि पूर्व सीएम महबूबा मुफ़्ती ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में संघर्ष एक सियासी लड़ाई है, जो दशकों से जारी है। उन्होंने कहा कि कोई फैसला आखिरी नहीं है, सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी नहीं। इस लड़ाई दशकों से हमारे लोगों ने बलिदान दिया है और हम बीच में लड़ाई नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला भारत की अवधारणा के लिए सजा ए मौत से कम नहीं है। एक असंवैधानिक कदम को जायज बताया गया है। हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम उम्मीद खो दें और हार स्वीकार करें, किन्तु ऐसा नहीं होगा। महबूबा मुफ़्ती के अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और नेशनल कांफ्रेंस (NC) के मुखिया फारूक अब्दुल्ला ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराज़गी जाहिर की है। फारूक अब्दुल्ला ने तो फैसले पर भड़कते हुए यहाँ तक कह दिया कि, ''भाड़ में जाए जम्मू कश्मीर। उन्होंने सरकार के कार्यों की आलोचना करते हुए कहा, "उन्होंने लोगों को धोखा दिया। वे लोगों का दिल जीतना चाहते हैं। अगर आप लोगों को दूर धकेलने के लिए ऐसी चीजें करेंगे तो आप यह कैसे जीतेंगे?"
इन सबकी नाराज़गी और इन सियासी दलों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी संविधान के विरुद्ध बता देना, एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। वो सवाल ये है कि क्या ये राजेनता ''कानून और संविधान'' के बारे में देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच से भी अधिक जानते हैं ?
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