नई दिल्ली: ईसाई समुदाय पर हो रहे कथित हमलों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को कड़े निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने गृह मंत्रालय को ईसाई समुदाय पर हो रहे कथित हमलों को लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और ओडिशा समेत अन्य राज्यों से रिपोर्ट तलब करने के लिए कहा है। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने ये आदेश दिया है।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा है कि व्यक्तियों पर हमले का मतलब यह नहीं है कि यह समुदाय पर हमला है, मगर यदि इस बात को जनहित याचिका (PIL) के तहत उठाया गया है तो ऐसी किसी भी घटना के दावों को सत्यापित करने की आवश्यकता है। इस मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सत्यापन पर यह पाया गया है कि जनहित याचिका में उल्लिखित ज्यादातर कथित मामले झूठे हैं और एक वेब पोर्टल पर छपे "स्वयं सेवित लेख" पर आधारित हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस तरह की जनहित याचिका में अदालत को आदेश नहीं देना चाहिए, नहीं तो पैंडोरा बॉक्स खुल जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने तुषार मेहता की दलील को दरकिनार करते हुए राज्यों से रिपोर्ट मांगने के लिए गृह मंत्रालय को दो महीने का समय दिया है। वहीं, इस जनहित याचिका से यह सवाल भी उठ रहा है कि, देश में ईसाईयों पर हमले कर कौन रहा है ?
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