पटना: नई दिल्ली में INDIA ब्लॉक की चौथी बैठक के कुछ दिनों बाद, JDU के एक विधायक ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की, जिससे विपक्ष की एकता पर सवालिया निशान लग गया। विधायक गोपाल मंडल ने कहा कि आम जनता खड़गे को नहीं जानती और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही INDIA ब्लॉक का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि, "यह 'खड़गे-पड़गे' कौन है? जनता उन्हें नहीं जानती। यहां तक कि मुझे भी नहीं पता था कि वह कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। मुझे बस आपके (मीडिया) माध्यम से पता चला।।। जनता नहीं जानती उन्हें। जनता नीतीश कुमार को जानती है। नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनना चाहिए। वह पूरे भारत में लोकप्रिय हैं।'' गोपालपुर विधानसभा से JDU विधायक ने कहा कि यह उनकी पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार ही थे, जिन्होंने INDIA ब्लॉक की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने आगे कहा कि "सब कुछ नीतीश कुमार ने किया था। जब गठबंधन का नाम INDIA रखा गया था, तब नीतीश कुमार ने संयोजक की भूमिका निभाई थी। उन्होंने सभी क्षेत्रीय नेताओं को इकट्ठा किया और उन्हें बार-बार बैठकों के लिए एक साथ लाने में मदद की। उन्हें नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में चुनना चाहिए।" मंडल ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा कि यह एक ऐसी पार्टी है जिस पर जनता भरोसा नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा कि, "कांग्रेस पार्टी भरोसे के लायक नहीं है। यह कांग्रेस ही थी जिसके शासनकाल में लोगों को महंगाई और बढ़ती कीमतों का खामियाजा भुगतना पड़ा। भाजपा उसकी (कांग्रेस की) खराब नीतियों के कारण ही सत्ता में आई। अब, भाजपा महंगाई को दूसरे स्तर पर ले गई है। तो फिर अतीत के चेहरे क्यों चुनें, नए चेहरों को चुनें।"
बता दें कि, JDU विधायक का बयान 19 दिसंबर को हुई INDIA गठबंधन की चौथी बैठक में ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में खड़गे का नाम प्रस्तावित किए जाने के बाद आया। हालांकि, कांग्रेस प्रमुख ने पीएम उम्मीदवार होने के सुझावों को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि, 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए हमारा पीएम उम्मीदवार कौन होगा, इस मामले पर बाद में फैसला किया जाएगा और उनकी प्राथमिकता बहुमत हासिल करने की कोशिश करना है।
खड़गे ने कहा था कि, "पहले हम सभी को जीतना है, जीत के लिए क्या करना होगा ये सोचना चाहिए। पीएम कौन होगा ये बाद में तय होगा। अगर सांसद कम हैं तो पीएम के बारे में बात करने का क्या मतलब? एक साथ आकर अपनी संख्या बढ़ाने के लिए हम बहुमत लाने की कोशिश करेंगे। सबसे पहले हमें जीतना होगा।"
बता दें कि, विपक्षी गुट की चौथी बैठक राष्ट्रीय राजधानी में हुई थी और इसमें 28 दलों के नेताओं ने भाग लिया था। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा कि सीट-बंटवारे की बातचीत बिना किसी देरी के शुरू होनी चाहिए और "संयुक्त रैलियों" का भी प्रस्ताव है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सांसदों के निलंबन को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर यह बैठक आयोजित की गई थी। कांग्रेस के नेतृत्व में गठबंधन ने अगले साल के आम चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को संयुक्त चुनौती देने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ आकार लिया। संयुक्त विपक्ष की पहली बैठक 23 जून को पटना में और दूसरी बैठक 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई। तीसरी बैठक 31 अगस्त-1 सितंबर को मुंबई में हुई थी।